विधानसभा चुनावों में चुनाव आयोग ने राजनैतिक दलों के लिए कड़े नियम लागू किये हैं।
11 फरवरी को यूपी के पहले चरण के विधानसभा चुनाव के बाद शाम को दैनिक जागरण की वेबसाइट पर एग्जिट पोल पोस्ट किया गया था। एग्जिट पोल में अन्य पार्टियों पर भाजपा की बढ़त दिखाई गई थी। सर्वे में दूसरे नंबर पर बसपा और तीसरे नंबर पर सपा-कांग्रेस के गठबंधन को दिखाया गया था।यह चुनाव आयोग के नियमों के खिलाफ था जिसके बाद जागरण के एडिटर को गिरफ्तार कर लिया गया।
यही नहीं, गोवा मतदान के दौरान भी रक्षा मंत्री के खिलाफ चुनाव आयोग ने नियमों का उल्लंघन करने का इल्जाम लगाया था और विधानसभा चुनाव में राजधानी की हाई प्रोफाइल सीट लखनऊ कैंट से समाजवादी पार्टी की अपर्णा यादव और भारतीय जनता पार्टी की रीता बहुगुणा जोशी को निर्वाचन आयोग ने 9 फरवरी को आचार संहिता के उल्लघंन का दोषी मानते हुए दोनों को नोटिस दिया।
जानिए क्या हैं नियम
चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश में प्रत्याशियों को चुनावी खर्चे के लिए केवल 28 लाख रूपये खर्च करने की अनुमति दी हैं। इससे अधिक के खर्चे किये जाने पर चुनाव आयोग प्रत्याशी की आय की जाँच करा सकता हैं।
चुनावी खर्चों पर नज़र रखने के लिए इन चुनावों में चुनाव आयोग ने प्रत्याशियों से चुनाव में होने वाले खर्चों के लिए अलग बैंक खाता खोलने के लिए कहा है। ऐसा करने से चुनाव आयोग प्रत्याशियों द्वारा किये गये खर्चों का हिसाब आसानी से रख सकता हैं।
आचार संहिता लागू होने के बाद किसी भी पार्टी के पदाधिकारी प्रचार के लिए अपने दौरों के दौरान अब सरकारी गेस्ट हाउस का प्रयोग नहीं कर पायेंगे। साथ ही सरकारी वाहनों व हेलीकॉप्टरों आदि का प्रयोग भी प्रत्याशी और मंत्री अपने चुनावी दौरों के लिए नहीं कर पायेंगे।
चुनाव आयोग पार्टियों के चुनावी घोषणा पत्र पर भी कड़ी नज़र रखेगा। ऐसा पहली बार होगा कि पार्टी के घोषणा पत्र को भी आचार संहिता में शमिल किया जायेगा।
हालांकि सोचने वाली बात ये है कि अब तक चुनाव चरणों में कुछ उलंघन तो देख ही लिया है, जैसे उम्मीदवारों का प्रचार। और क्या धर्म के नाम पर बात करके मतभेद पैदा करने की कोशिश, नियमो का उलंघन नहीं है?