बुंदेलखंड मा औरतन साथै होय वाली हिंसा ख़तम होय का नाम नहीं लेत है। यहिके खातिर सरकार कानून भी बनाये बनाये है तबहूँ औरते नियाव पावै खातिर घूमत फिरत है। कुछ यहिनतन का मामला है ललितपुर जिले के जिरौर गांव के अनीता का है।
अनीता आइने मायके मा रहत है। ससुराल वाले वहिका बोलावत नहीं आय। इनतान के न जाने केत्ते मामला है। अव या बात सोचै का मजबूर कई देत है कि ममता का ससुराल मा का समस्या है। दूसर बात ससुरल वाले ममता का काहे नहीं राखत है। काहे ज्यादातर औरतें या बात का रोना रोवत है कि उनका ससुराल मा नीकतान से नहीं रखा जात है। या समस्या का लइके औरतें अदालत का दरवाजा खटखटात रहत उनके आधी उम्र नकल जात है, पै नियाव नहीं मिलत है।
अगर एक लड़की के साथै बलात्कार होई जात है तौ वा भी यहिनतान नियाव खातिर दर दर भटकत हैं। या मुकदमा के लम्बी प्रक्रिया का ख़तम करै खातिर सरकार नीक वयवस्था का खातिर काहे नहीं सोचत आय।
नियाव खातिर दर दर फिरत
पिछला लेख