सरकार गरीब मजदूर के लेल मनरेगा योजना लागू कलथिन ताकि सब लोग अपना गांव धर में ही मजदूरी कके परिवार के साथ जीवन यापन करे। लेकिन इ योजना के लाभ केतना हद तक मजदूर के मिल जाइ छइ। उ त मजदूर लोग ही जनइ छथिन।
अभी काम भी मनरेगा में ज्यादातर मषीन के द्वारा ही होइ छइ। जेइ कारण गरीब मजदूर काम करे के लेल बइठले रह जाइ छइ। उनकर गरीबता काम न मिले के कारण बढइत रहइ छइ। अगर काम भी मनरेगा के तहत करइ छथिन त मजदूरी समय से न भुगतान हो पवइ छइ। जेइ कारण उ लोग कई महीना या सालो भर रूपइया के राह देखइत रह जाई छथिन। लेकिन परिवार चलावे के लेल त रूपइया के बहुत जरूर होइ छइ। अइ के लेल अधिकांष मजदूर बाहर ही जाके मजदूरी करइ छथिन अउर अपन जीवन यापन करइ छथिन।
जेकरा नाम से जाॅब कार्ड हइ यदि उनका काम न मिल रहल हइ। त उनका आधा मजदूरी जोड़ के देवे के हइ। ऐहन नियम सरकार केतना बनयले छथिन । लेकिन पालन कहां हो रहल हइ। ओतना सुविधा उनका सबके मिलतीअइ त बाहर कमाय कयला जतिअइ। सब लोग के इच्छा रहइ छइ की काम धंधा कके अपना परिवार के साथ रहब। लेकिन इहां के मजदूर के बहुत दिक्कत हइ। ऐइ के लेल विभागीय लोग के कुछ सोचे के चाही।