सरकार शिक्षा विभाग पर लाखों करोड़ो रूपईया खर्च करई छथिन। लेकिन बच्चा के पुरा शिक्षा या पुरा सुविधा न मिल पवई छई। जेई कारण अभिभावक, बच्चा अउर शिक्षक भी परेशान रहई छथिन। कारण कि कभी छात्रवृति, कभी पोषाक राशि अउर कभी मध्याहन भोजन में शिक्षक उलझल रहई छथिन। जेई कारण पढ़ाई के स्तर कम हो रहल हई। शिक्षक लोग भी कहई छथिन कि सरकार छात्रवृति अउर पोषाक राशि लागू कर के शिक्षक के साथ मार पीट करवई छथिन। दोसर में अभिभावक लोग भी झगड़ा करे के लेल तैयार हो जाई छई। लेकिन बच्चा के पढ़ाई के ओर केकरो ध्यान न हई। जेई कारण बच्चा के मन में हमेशा रहई छई कि खाली उपस्थिति बन जाएत अउर सुविधा मिलत। लेकिन पढ़ाई के ध्यान न रहई छई। जेकर नतीजा हई कि शिक्षा के स्तर गिर रहल हई। जेकरा पास रूपईया हई उ अपना बच्चा के प्राईवेट स्कूल में पढ़वई छथिन। लेकिन गरीब मजदूर के बच्चा पढ़ाई से वंचित रह जाई छई। अगर सरकार के इहे व्यवस्था रह गेलई त विद्यालय में पढ़े वाला बच्चा के भविष्य केना बनतई। ऐई पर बच्चा अभिभावक के साथ सरकार के भी सोचे के चाही।
नियम के अनुसार न होई छई काम
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