महोबा जिला में बैसाख लगत ही पानी की मारा मारी मचत हे। महोबा जिला तो तालाबन खे लाने महसूर हे। पे पिये के पानी मे पिछड़ो हे। इत्ती गर्मी होंय के बाद भी कोनऊ चैरहे मे पानी की व्यवस्था नजर नई आउत हे। खास के महोबा जिला के गांवन के आदमी ओर जानवर प्यासे भटकत फिरत रहत हे। आदमी हैण्डपम्प जा फिर कुअंन का पानी पिये खा मजबूर हे। सवारी अपने साथ पानी लेके चलत हे। जभे की सरकार ईखे लाने अलग से बजट भेजत हे। पे कोनऊ ध्यान नई देत हे। जभे कि पानी के बिना कोनऊ काम र्न हो सकत हे।
सवा जा उठत हे कि जभे सरकार आदमियन के व्यवस्था करत हे तो जिम्म्ेंदार अधिकारी करें में आनाकानी काय करत हे। आखिर कास्बा में फ्री पानी की व्यवस्था करे की जिम्मेंदारी कीखी आय। सोचे वाली बात तो जा हे की एक तो महोबा के हैण्डपम्प को पानी खारा हे। ओर दूसर ई साल पानी की टंकी की सफाई भी नई कराई हे। जभे कस्बा के आदमियन खा पानी पिये खा नई मिलत हे तो आये-जाये वाले यात्रियन खा किते से मिलहे।
आदमी तो कहूं से भी खरीद के पी सकत हे। खास कर ऊं ओरत ओर बच्चन खा परेशानी होत हे जो अकेले ओर छोट् बच्चन खा लेके सफर तय करत हे। काय से ऊ समान देखहे की हैण्डपम्प ढूढ़ के पानी भरहे। एई से जिम्मेंदार अधिकारियन खा ई बातन का ध्यान देय खा चाही। का ई जिम्मेंदारी अधिकारी निभा पाहे।
सवाल जा उठत हे कि अगर सरकार फ्री पानी पिबायें खा रूपइया भेजत हे। ओर तो ऊ रूपइया किते जात हे। का अधिकारियन को वेतन से पेट नई भरत हे।
निकरी जात गर्मी, नइयां पानी की सुविधा
पिछला लेख