जिला वाराणसी, ब्लाक चोलापुर, गोसाईपुर। इहां के दलित बस्ती में चार पीढ़ी से आज तक कउनों भी सुविधा नाहीं हव। जवने से लोग के बहुत परेशानी उठावे के पड़अला। आउर इ कारन गांव भी बहुत पिछड़ल हव।
इहां के शान्ति आउर गीता के कहब हव कि हमरे पास शौचालय नाहीं हव आगे पीछे पण्डित के खेत हव। अगर एको बच्चा खेत में शौच कर दीहन तो पण्डित लोग हाथ से शौच उठवा के फेकवावलन। आउर एतना गाली देलन कि का बताई। जब प्रधान से कहाई तो कहियन कि पांच हजार द तो बनवाई।
धर्मा के कहब हव कि हमरे साथ इहां के दस घर के लोगन के पास जाबकार्ड नाहीं हव। कई बार कहे लेकिन प्रधान ना बनइलन। कभी नरेगा के काम के भी ना होत काम के कहल जाई तो प्रधान कहियन कि काम हव कि देई। एही के मिनता, गीता, रामधनी, भगत समेत कई लोग के कहब हव कि इ गांव में कउनों सुविधा नाहीं हव। इहां ना तो ठीक से राशन मिलअला ना ही आवास हव आउर ना ही पानी के सुविधा हव। नरेगा के काम के तो कुछ पता ही नाहीं हव। सब गांव के विकास हो जात हव मगर इहां के कुछ पता नाहीं चलत हव कि का होई। प्रधान मोनू के कहब हव कि मार्च 2013 में गांव में सर्वे करवइले हई जेमे सौ आवास डेढ़ सौ शौचालय के प्रस्ताव देहले हई। आउर दू ठे नया जाबकार्ड बनवइले हई। हम भी चाहीला कि जवन सरकारी योजना हव उ सब गांव में आवे आउर इ गांव भी विकास करे। नरेगा के तहत खडण्जा बिछवावे खातिर नब्बे हजार रूपइया आयल हव। तो मजदूरन के काम जल्दी मिली
नाहीं हव कउनों सुविधा
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