जिला वाराणसी, मंण्डलीय अस्पताल कबीर चैरा। इहां पर 11 जुलाई से 24 जुलाई 2014 तक आदमी आउर मेहरारू के नसबन्दी के कैंप लगल हव। इहां पर एक नसबन्दी पर ग्यारह सौ मिलत हव।
निर्मला के कहब हव कि इहां पर चैदह दिन के कैंप लगाके मेहरारू आउर आदमी के नसबन्दी पर ग्यारह सौ रूपिया आउर कुछ दवाई भी मिली। इ सब कुछ निःशुल्क होई। इंहा पर कैंप लगा के जागरूकता के काम होत हव। ज्यादा परिवार में बच्चों की देखरेख होई। आउर छोटा परिवार सुखी परिवार होला।जिला वाराणसी, ब्लाक चिरईगावं, गावं आशापुर अम्बेडकर गावं नगर कचहरी। इहां बस्ती के सब गन्दा पानी बह के पोखरा में जात हव। एक समय अहिसन रहल कि जब इ पोखरा के पानी से खाना बनत रहल। लोग एही पानी से नहाए धोए। लेकिन आज हर घर के सीवर के पानी एही में आके गिरत हव।
भूपेन्द्र पाण्डेय, राजेन्द्र पाण्डेय, सुरेश पाण्डेय, मालती पाण्डेय इ सब लोगन के कहब हव कि सीवर के पानी पोखरा में बहत लगभग दस साल हो गएल हव। गावं के सब बच्चन तैरे खातिर के बाहर जालन। हर साल कुछ बच्चन डूब जालन। अगर हमने के इ पोखरा सही रहत त हमने के बच्चन एही तैरतन। हमने भी कुछ काम लेईत। मछली भी हमने पालीत। कई बार हमने प्रधान से कहे लेकिन कउनों सुनवाई नाहीं भयल। प्रधान जीउत पाण्डेय के कहब हव कि कई बार हम डी. एम. के पास दरखाश देहली लेकिन कउनों सुनवाई नाहीं भयल। इहां के डी. एम. प्रांजल यादव के कहब हव कि नाली आउर सीवर के पानी पोखरा में ना जाई त कहाँ जाई। प्रधान हमरे पास कउनों दरखाश नाहीं लगइले हयन। अगर प्रधान, अधिकारी आउर डी. एम. इ लोग पोखरा के पानी के गन्दा कहे लगीयन त आम जनता का कही।