जिला महोबा, ब्लाक जैतपुर, गांव लाड़पुर। ई साल सूखा के कारन आदमी ओर जानवर भूखन मरत हे। सासन ने नियम बना दओ हे। पे आज तक कछू लाभ नईं मिलो हे। चारो केती जानवर भूखें फिरत हे।
एते को भगवानदास कहत हे की मोये परिवार के साथे आठ जानवर भी हे। ई साल के सूखा ने हम किसानन खा झगझोर के धर दओ हे। खेतन में चारा नइयां, न भूसा कहूं नईं मिलत हे। जीसे खरीदो जा सके। शिवदयाल कहत हे की मोयेे पांच जानवर हे। भूसा ओर चारा न होंय के कारन पांच किलोमीटर दूरी से खजूरिया काट के लाउत हे। जानवरन को पेट भरें के लाने। का करन जानवरन बांधें हें तो खायें खा देय खा परत हे। भूखे तो नईं मार सकत हे। मोतीलाल कहत हें की हम किसान आदमी हे। बाहर मजदूरी करन भी नईं जा सकत हें काय से परिवार ले जेहे तो जानवरन की देखरेख कोन करहे। अगर जानवर बेंचत हें तो कोनऊ नईं खरीदत हे। धन्धा करें वाले खरीदत हे तो कम रुपइया में खरीदत हे। अभे हमने सुनो हतो की तहसील से जानवरन खा भूसा ओर चारा मिलहे। दो महीना बीत गये, अभे कछू सुनवाई नइयां मिलहे की नई।
कुलपहाड़ तहसीलदार रामजी से ईखे बारे में बात करी तो ऊने अपनी सफाई में कहो की ईखी व्यवस्था बोहतई जोर शोर से करी जात हे। जा व्यवस्था कभे तक पूरी हो पेहे जा कोनऊ जानकरी नइयां।