सरकार विकलांग पेंशन के योजना तौ बनाये हवै, पै अगर पेंशन के बात कीन जाये कि चित्रकूट जिला मा विकलांग मड़इन का, का पेंशन के सुविधा हवै। या फेर उनका सुविधा मिलत हवैं तौ या बात तुरतै सउहें आ जात हवै कि विकलांग मड़इन का सुविधा दें के लालच मा कैम्प मा बोला तौ लीन जात हवै, पै भरोसा दइके लउटा दीन जात हवै। यहिका उदाहरण हवै 20 दिसम्बर 2013 का।
कर्वी ब्लाक के चित्रकूट इंटर कालेज मा कैम्प लाग रहै। यहिमा लगभग चार हजार विकलांग मड़ई आय रहै। उंई या उम्मीद लइके आय रहै कि उनका काम धंधा करैं खातिर रूपिया मिली। यहै से सुबेरे नौ बजे से बइठ शाम पांच बजे तक बइठे रहैं। दिन भर भूखें पियासे बइठे रहै।
कुछ मड़ई उम्मीद लइके खाली हाथ अपने अपने घर का लउट गें। आखिर इनतान भरोसा दइके काहे कैम्प लगावा जात हवै? कैम्प लगावैं के पहिले वहिका उद्देश्य बतावैं के जरूरत हवै। तबहिने मड़इन का विश्वास जीता जा सकत हवै। नहीं तौ का फायदा। सरकार इनतान मड़इन के आंखिन मा धूल झोकै मा काहे लाग रहत हवै। वा मड़इन का सच्चाई काहे नहीं बतावत आय। या बात खातिर सरकार का बहुतै ध्यान दें के जरूरत हवै। तबहिने जनता के दिल मा खुशी रही।
नाम खातिर लागत कैम्प
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