जिला झांसी, शहर झांसी आज भी इतनी योजना चलबे के बाद भी गरीब आदमी घाम, ठण्ड, और बरसात में रेबे के लाने मजबूर हे। झाडू बना के पेट पाल रए जे आदमी झांसी में सड़क किनारे दस साल से रह रहे। लेकिन इनकी सुनवाई करबे वालो कोई नईया। जे आदमी बांदा के तिन्दवारी गांव के रहबे वाले हे। इन ओरन को जो एक नागरिक को प्राप्त होबे वाली सुविधा हे बे एक भी नई मिल रई।
रोहित ने बताई के हम झाड़ू बनाबे को काम करत जो काम हम दस साल से इते रह रए तब से कर रए।झाडू इन्हें बेचबे के लाने हम ग्वालियर, मथुरा, दतिया, धौलपुर, और झांसी के आस पास के गांव में जात जई से हमाओ घर चलत और खाबे को रोटी मिलत। अब दीपावली आ गई तो अब बस अबे कमाई हे। अबे कमा लेहे तो साल भर को खाबे हो जेहे नई तो फिर भूखन मर हे। और जई से अपने मोड़ी मोड़ा पालत। दस साल से रह रहे इतेई फूट पात पे भगाबे वाले भगा देत कत के जाओ इते से।
राम दुलारी ने बताई के पेट भर के रोटी तक नई मिलत कच्ची झोंपड़ी हे बाई में डरे रत मोड़ी मोड़ा। और पुलिस बाले आत तो बे बोई हटा देत। सो फिर एसे घाम में डरे रत। काय के हमाय लाने सरकार के पास कछू नईया न कालोनी हे न कछु।
विदेशा ने बताई के कपडा तक नईया पेनबे के लाने झाडू बेचबे जात सो उतेई से मांग लेयात सो पहना देत नई तो एसे ही फिरत।
राम देवी ने बताई के न हमनो जघा हे न जमीन हे भूके मरत कबहु नहाबे को पानी मल जात कबहु बोई नई मिलत। कबहु पेट भर के रोटी मिल जात। कबहु एसे ही दिन निकर जात। पुलिस वाले आत डंडा चलात कत के भगो इते से गरीब को तो सब आदमी परेशान करत। सब कत के मर जान दो गरीब आदमियन को तो। सड़क किनारे लेटत पटरी पे। भोत अधिकारी आय कत के जो परेशानी होए सो बताओ। लेकिन सुनत कोऊ नईया काय के बड़े आदमियन की सब सुनत गरीब की कोऊ नई सुनत।
रिपोर्टर- सफीना
07/10/2016 को प्रकाशित