बारिश शुरू होतई आदमियन खा पानी भराओ की समस्या से जूझे को डर बनो रहत हे। पे एते नदी न होंय के कारन अधिकारी अनजान बने रहते हे। जभे की नदी से ज्यादा आदमियन खा निकरे ओर बच्चन खा खेले में परेशानी होत हे। ताजा उदाहारण-कबरई ब्लाक, के अलीपुरा गांव में एक पुलिया न बने करन आदमी एक घर से दूसरे घर नई जा पाउत हे। काय से द्वारे में टिंघरान से पानी भरो हे। जभे कि जा बात हर अधिकारी ओर प्रधान खा पता हे। पनवाड़ी ओर चरखार ब्लाक में केऊ ऐसे गांव हे जीसे बीच गांव से नाला निकरे हे आदमी तीन तीन दिन भीतर से बाहर नई निकरत हे। सवाल जा उठत कि का जोन शहर में नदी हे ओई गांव में बाढ़ जेसे समस्या आउत हे।
महोबा जिला में देखो जाये तो हर गांव में नाला निकरो हे जीसे थोई तेजी से बारिस होंय पे घर भर जात हे। आदमी रात-रात भर पानी उलीचत रहत हे। नींद नई आउत हे। समान खराब हो जात हे। आखिर ईखो जिम्मेंदार कोन हे।? का सरकार गांव की समस्या के लाने बजट नई भेजत हे। का? जीसे पीढ़ी बीते के बाद भी ओई हालत हे। हर साल विकास के लाने कोनऊ न कोनऊ योजना आउत हे फिर की जिलन में बेठे कर्मचार बजट न होंय को बहाना करत रहत हे। जभे योजना बनत हे तो का सरकार ऊ योजना में बजट नई भेजत हे तो योजना काय बनाई जात हे। कागज में चढ़ये के लाने जा फिर नाम के लाने। अगर भेजत हे तो ऊ बजट किते जाते हे। जीसे परेशानी दूर नई होत हे।
जभे कि ईं बातन खा लेके अधिकारियन से बात करी तो ऊने साफ शब्दन में कहो की एते नदी नइयां, जीसे बाढ़ आ सकत हे। सोचे वाली बात जा हे कि लगत हे अधिकारी भी कोनऊ बढ़ी घटना होंय को इन्तजार करत हे। काय से छोटी छोटी घटना से ही बड़ी घटना होत हे।