बिहार के सीतामढ़ी जिले के शशि शेखर को भूख हड़ताल पर बैठे 16 दिसंबर को सातवां दिन हो गया। उन्होंने इसकी शुरुआत 10 दिस्म्बर को ‘संघर्ष यात्रा’ के एक भाग के रूप में लक्ष्मण गंगा के किनारे की थी जिसे लखनदेही के नाम से भी जाना जाता है। वे इसके द्वारा नदियों के अधवारा समूह पर तटबंधध्पुश्ता बनाने का विरोध कर रहे है।
अपनी इस भूख हड़ताल के द्वारा शेखर प्रभावित हुए किसानों के लिए उचित मुआवज़े की मांग कर रहे है. साथ ही उनकी मांग है कि जिस तरह स्थानीय किसानों को धोखा देकर गैर कानूनी तरीके से तटबंधध्पुश्ता बनाये जा रहे है इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। साथ ही नदियों की रक्षा के लिए लड़ने वाले सत्यग्राहिओं के खिलाफ झूठे केस वापस लिए जाने चाहिए। शेखर का कहना है ‘पुलिस और अफसरों के साथ मिलकर ठेकेदारों ने किसानों से ज़बरदस्ती ज़मीने ले ली है और धमकाकर दस्तावेज़ साइन करवा लिए है।’
शेखर चाहते है कि सरकार लखनदेही नदी को पूर्व में न मोड़े और पश्चिम की तरफ वापस भेज दे ताकि उसके असली मार्ग को दोबारा पानी मिलने लगे और उन सैकड़ों हज़ारों किसानों का भला हो सके जो अभी पानी के अभाव में जी रहे है।
शेखर का कहना है की वे 2002 से तटबंधध्पुश्ता के अंधाधुन बनाये जेन के खिलाफ लड़ रहे है मगर अभी तक उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई है।
नदियों को बचने के लिए भूख हड़ताल
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