यूपी चुनाव में शानदार जीत के बाद सरकार बनाने जा रही बीजेपी के सामने कई बड़ी चुनौतियां होंगी, जिससे पार पाना नई सरकार के लिए बेहद अहम होगा।
उत्तर प्रदेश की जनसंख्या 20 करोड़ से ज्यादा है। इतनी बड़ी जनसंख्या ब्राजील जैसे राष्ट्र की है, हालांकि इस प्रदेश की इकोनॉमी कतर के बराबर है, जिसकी आबादी महज 2.4 मिलियन लोग ही रहते हैं। जनसंख्या के लिहाज से देखें तो इतनी आबादी अकेले बिजनौर शहर की है।
उत्तर प्रदेश की जीडीपी केन्या के बराबर है, यहां शिशु मृत्यु दर इस्लामिक देश मॉरिटानिया को टक्कर देती नजर आती है। वहीं गरीबी की बात करें तो यूपी के हालात पश्चिम अफ्रीकी देशों जैसे हैं। इतनी बड़ी जीत के बाद सत्ता संभालने जा रही बीजेपी सरकार के सामने ये 6 बड़ी चुनौतियां हैं, जिनसे नई सरकार जल्द से जल्द छुटकारा पाना चाहेगी।
1. मातृ मृत्यु-दर में यूपी दूसरे स्थान पर, बच्चों की आधी आबादी कुपोषण की शिकार सबसे बड़ी जनसंख्या होने के बावजूद उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति 452 रुपये खर्च करता है। ये आंकड़ें दूसरे राज्यों के औसत खर्च से 70 फीसदी कम है। प्रदेश में हर दो में से एक बच्चा कुपोषण का शिकार नजर आता है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे 2015-16 के आंकड़ों पर गौर करें तो मातृ मृत्यु दर में यूपी देश में दूसरे नंबर पर है। वहीं शिशु मृत्यु दर सबसे ज्यादा है (एक हजार बच्चों के जन्म में 64 बच्चों की मौत हो जाती है)। यहां 84 फीसदी विशेषज्ञों की जरुरत है, 50 फीसदी नर्सिंग स्टाफ की जरुरत है, वहीं भारत में स्वास्थ्य श्रमिकों की हिस्सेदारी सबसे कम (19.9 फीसदी) है।
2. शिक्षा का कम स्तर, स्कूलों में बच्चों की कम अनुपस्थिति उत्तर प्रदेश ऐसा राज्य है जहां प्राइमरी स्कूल में सबसे ज्यादा का नामांकन हुआ है, 2015-16 में करीब 83.1 फीसदी छात्रों ने प्राथमिक विद्यालय में दाखिला लिया है। उत्तर प्रदेश ने प्राथमिक विद्यालय में बच्चों के उच्च नामांकन हासिल कर लिया है, यूनिफाइड जिला सूचना प्रणाली शिक्षा (यू-डीआईएसई) के आंकड़ों के अनुसार 2015-16 में 83.1 फीसदी छात्रों ने प्राथमिक विद्यालयों में दाखिला लिया है। सरकार के सामने बड़ा मुद्दा स्कूलों में आने वाले छात्रों की संख्या को बढ़ाने और बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों को स्कूल में रोकने की कवायद करना अहम चुनौती होगी।
3. युवाओं में बेरोजगारी सबसे ज्यादा, नौकरी के लिए पलायन प्रदेश में शिक्षा के गिरते स्तर का असर रोजगार में भी नजर आता है। यहां बेरोजगारी का स्तर बहुत ज्यादा है। 2015-16 के आंकड़ें देखें तो प्रदेश में 1000 में 58 लोग बेरोजगार हैं, जबकि देश के स्तर पर देखें तो औसत 37 के करीब है। प्रदेश में युवा बेरोजगार सबसे ज्यादा हैं। श्रम मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2015-16 में 18 से 29 की उम्र वाले एक हजार युवाओं में 148 युवा बेरोजगार हैं। वहीं पूरे देश के आंकड़े देखें तो औसत 102 है। यूपी चुनाव में रोजगार का मुद्दा बेहद अहम था। बीजेपी की ओर से ऐलान किया गया है कि प्रदेश में अगले पांच साल में सात लाख नई नौकरियां निकाली जाएंगी। यूपी में 90 फीसदी नौकरी प्रदेश के युवाओं के लिए आरक्षित की जाएंगी।
4. औद्योगिक विकास भी सबसे कम नीति आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 2013-14 और 2014-15 में उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास सबसे कम रहा। इस दौरान क्रमश: 1.95 फीसदी और 1.93 फीसदी रहा। प्रदेश में कई उद्योग जो पारंपरिक तौर पर मजबूत हुआ करते थे वो भी संघर्ष करते नजर आ रहे हैं। इनमें कानपुर का चमड़ा उद्योग भी शामिल है। बीजेपी के घोषणा पत्र में वादा किया गया है कि प्रदेश में एक निवेश बोर्ड का गठन किया जाएगा, जिससे मौजूदा निवेश तीन गुना किया जा सके।
5. 20 फीसदी खेती के बावजूद, गिरती कृषि विकास दर 2012-13 में उत्तर प्रदेश में खेती करने वालों का आंकड़ा करीब 18.05 लाख के करीब रहा। देश में ये आंकड़ा 20 फीसदी कृषि के आस-पास है। गांव में रहने वाले हर चार में से 3 लोग खेती से जुड़े हुए हैं। बावजूद इसके प्रदेश में कृषि विकास दर में गिरावट देखा गया है। बीजेपी के घोषणा पत्र में वादा किया गया है कि कृषि कर्ज में छोटे किसानों को राहत मिल सकती है। भविष्य के लिए ब्याज रहित कर्ज की व्यवस्था का ऐलान किया गया है। 2022 को लेकर प्रदेश में कृषि के लिए खास रौड-मैप तैयार करने का वादा किया गया है।
6. यूपी के आधे से ज्यादा घरों में बिजली आपूर्ति नहीं उत्तर प्रदेश में बिजली की कटौती बड़ा मुद्दा है। इस बार के चुनाव में एक तिहाई मतदाताओं के बीच बिजली अहम मुद्दा बन कर उभरा। यूपी, भारत के उन राज्यों में शामिल है जहां बिजली व्यवस्था बेहद खराब है। ग्रामीण इलाकों में 51 फीसदी घरों में बिजली नहीं पहुंची है। वहीं 2011 के आंकड़ों के मुताबिक 81.4 फीसदी शहरी लोगों के घरों में बिजली पहुंची है। बीजेपी के घोषणा पत्र में ऐलान किया गया है कि प्रदेश में 24 घंटे बिजली की व्यवस्था की जाएगी। गरीब लोगों को बिजली कनेक्शन फ्री में देने का ऐलान किया गया है। इसके अलावा पहले 100 यूनिट खर्च करने पर गरीब लोगों को 3 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली दी जाएगी।
साभार: इंडियास्पेंड