बिजली कटौती से मड़इन का हाल बेहाल हवै। गर्मी इनतान के परत हवै, पै बिजली तीन तीन घंटा का चली जात हवै। यहै से परेशानी होत हवै।
राजापुर कस्बा के मड़ई बिजली कटौती का लइके धरना प्रदर्शन तक करिन, पै समस्या जस के तस बनी हवै। बिजली नहीं रहत तौ गांव मा किसान के ट्यूबवेल बंद परे हवैं। खेत भी बिना सिंचाई के सूखत हवैं। दूसर कअती सरकार लोगन का मोबाइल देत हवै तौ कत्तौं बचचन का लैपटाप। इं सबै बिना बिजली के डिब्बा के जइसे एक कइती परे रहत हवैं।
का बिजली के समस्या खतम करब विभाग वाले जिम्मेदार नहीं आय। जबै कि उंई आपन जिम्मेदारी बिजली का बिल भेज के जरूर पूर कइ लेत हवंै।
अगर बड़े शहरन मा देखा जाये तौ हुंवा बड़े-बड़े कारखाना अउर फैक्ट्री मा फिजूल बिजली खर्चा होत हवै। हुंवा कहां से बिजली के पूर्ति कीन जात हवै। जबै कि गरीब जनता बिजली कटौती होय के बादौ बिल बराबर भरत हवै। का या बात सरकार का पता नहीं आय। या फेर सरकार जान बूझ के अंजान बनै के कोशिश करत हवै? यहिकर जवाबदेही कउन देइ? या फेर बिजली विभाग या जवाब सुनै का इंतजार जनता का बेसब्री से हवै।
धरना धरै के बादौ समस्या बनी
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