सरकार सन् 2006 मा आशा बहू के भर्ती या सोच के करिस कि दूर दराज के गांव से बच्चा पैदा करावैं वाली मेहरियन का सुविधा मिली। आशा बहू आपन काम तौ करत हवै, पै उनका एक केस मा दुइ सौ रूपिया मिलत हवै। रात दिन केस लीने अस्पताल मा ठाढ़ रहत हवैं। येत्ते रूपिया मा उनका घर का खर्च नींक से नहीं चलै।
यहै से चित्रकूट जिला के आशा बहू कइयौ दरकी वेतन का लइके धरना प्रदर्शन करिन । आखिर सरकार का सोंच के एक केस मा दुइ सौ रूपिया देत जबै कि उनका यहिसे ज्यादा किराया भाड़ा लाग जात हवै।
महंगाई तौ सरकार दिनै दिन बढ़ावत जात। हवै। गरीबन खातिर सरकार कत्तौ नहीं सोचत आय। अगर आशा बहू धरना प्रदर्शन करत हवैं। सरकार का भी उनके समस्या का खतम करैं के खातिर सोचै के जरूरत हवै। तबहिने इनतान के समस्या खतम होइ।
स्वास्थ्य विभाग मा भी कहा गा, पै कउनौ ध्यान नहीं दिहिन। का यहिके जिममेदारी विभाग वालेन के नहीं आय कि उनके समस्यन का सरकार के लगे पहुचावै? अगर विभाग मा कहा भी जात हवै तौ उंई कहि देत हवैं कि समस्या का सरकार खतम करी।
धरना धरै का मंहगाई करिस मजूबर
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