फूकूशीमा, जापान। 2011 में एक बड़े भूकंप के बाद से ही जापान के फूकूशीमा के लोगों की समस्याएं कम नहीं हुई हैं। यहां बने एक परमाणु ऊर्जा केंद्र के कुछ टैंक और पाइपों को भूकंप से नुकसान पहुंचा था। जुलाई 2013 में पता चला कि इन टैंकों से लाखों टन ज़हरीला पानी पैसिफिक महासागर और ज़मीन के नीचे भूजल में छोड़ा जा रहा है।
राजधानी टोक्यो में टेपको नाम की कंपनी जो इस केंद्र को संभाल रही थी, उस पर भी सवाल उठा है। इस क्षेत्र में अकसर भूकंप और सूनामी आते हैं जिसकी वजह से यहां ऐसे केंद्र का होना खतरनाक है। इस दुर्घटना के बाद से स्थानीय लोगों में कैंसर जैसी बीमारियां बढ़ गई हैं। दो साल बाद ही जापान की सरकार ने मामले में दखल दिया है।
वरमौंट, अमेरिका। अमेरिका के वरमौंट शहर में ‘वरमौंट यैंकी’ नाम के परमाणु ऊर्जा केंद्र को बंद किया जा रहा है। वरमौंट के लोग और परमाणु ऊर्जा का विरोध करने वाले कई अंतरराष्ट्रीय संगठन चालीस सालों से इसकी मांग कर रहे थे।
ये केंद्र अमेरिका में बंद होने वाला पांचवा ऐसा केंद्र है। साल 1972 में खुला ये केंद्र 2014 में बंद हो जाएगा। फूकूशीमा के हालात देखते हुए परमाणु ऊर्जा केंद्रों से जुड़े खतरों के खिलाफ कई लोग आवाज़ उठा रहे हैं।