13 फरवरी 2014 को सरोजिनी नायडू की एक सौ पैंतीसवीं पुण्यतिथी थी। भारत को अंग्रेज़ों से आज़ादी दिलवाने में कई औरतों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। उनमें सरोजिनी नायडू का अलग ही स्थान है और आज भी उन्हें याद किया जाता है।
उनका जन्म 1879 में आंध्र प्रदेश राज्य के हैदराबाद शहर में हुआ। बारह साल की छोटी सी उम्र में ही उन्होंने बारहवीं कक्षा पास कर ली। आगे चलकर पढ़ाई करने वे इंग्लैंड भी गईं। वहां उनकी मुलाकात गांधी जी से हुई और सरोजिनी उनके विचारों से बहुत प्रभावित हुईं। वापस आकर उन्होंने कई राष्ट्रीय आन्दोलनों की अगुआई की और जेल भी गईं।
सरोजिनी नायडू के बारे में कई विशेष बातें हैं जैसे उस ज़माने में भी वे कई भाषाएं बोल लेती थीं। जिस जगह जाती थीं उस जगह के अनुसार हिंदी, अंग्रेज़ी, बांगला, गुजराती में भाषण देती थीं। भारत की आज़ादी के बाद वे उत्तर प्रदेश की पहली राज्यपाल बनीं।
सरोजिनी नायडू कवितायें भी लिखती थीं। उनकी आवाज़ बहुत मीठी थी, जिसकी वजह से पूरी दुनिया में उन्हें भारत की बुलबुल (सुरीला गाना वाली चिड़िया) के नाम से जाना जाने लगा। 2 मार्च 1949 को दिल का दौरा पड़ने से लखनऊ में उनका देहांत हो गया।