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देश का अनोखा किताबों वाला गांव

साभार: विकिमीडिया कॉमन्स

स्ट्रॉबेरी फल के लिए बेहद लोकप्रिय सतारा जिले का एक गांव अब किताबों के कारण भी लोकप्रिय हो रहा है। दरअसल ये गांव भारत का पहला ‘किताबों वाला गांव’ बनने जा रहा है। यह किताब का गांव ब्रिटेन के वेल्स शहर ‘के हे-ऑन-वे’ से प्रभावित है, और अपने पुस्तक भंडारों और साहित्य महोत्सवों के लिए जाना जा रहा है।

भीलर गांव खूबसूरत पंचगनी पहाड़ी क्षेत्र के नजदीक है और इसे किताब गांव बनाने की ये राज्य सरकार की पहल है। इसे मराठी भाषा में ‘पुस्तकाचे गांव’ कहते हैं, और इसका उद्घाटन चार मई को मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने किया। शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े के नेतृत्व में इस परियोजना पर मराठी भाषा विभाग काम कर रहा था। गांव के आस-पास किताबें पढ़ने के लिए 25 जगहों को चुना गया है। यहां साहित्य, कविता, धर्म, महिला, बच्चों, इतिहास, पर्यावरण, लोक साहित्य, जीवन और आत्मकथाओं की किताबें होंगी।

सूत्रों के अनुसार, यहाँ 15,000 मराठी भाषा की किताबें परिसर में उपलब्ध कराई जायेंगी। राज्य सरकार ने मराठी भाषा दिवस पर 27 फरवरी 2015 को इस तरह के किताब गांव और साहित्य उत्सव आयोजित करने की योजना की घोषणा की थी।