नई दिल्ली। देश में बारिश कम होने के कारण किसान खरीफ यानी मोटे अनाज, धान, दालें, गन्ना, कपास और तिलहन की बुआई में पिछड़ गए हैं। कहीं कहीं तो सूखे के आसार लग रहे हैं। हमेशा जुलाई के दूसरे सप्ताह तक होने वाली औसत बारिस के मुकाबले इस साल 43 प्रतिशत बारिश कम हुई है।
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार इस मौसम में औसतन 700 से 800 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान, दालें, मोटा अनाज, तिलहल, गन्ना, कपास आदि बोए जाते हैं। जिससे करीब 12 करोड़ टन खाद्यान्न का उत्पान होता है। कमज़ोर मानसून का असर सब्ज़ियों, तेल और अनाज के दामों पर पड़ना तय है। अपने देश में इन सबकी कम पैदावार होने पर दूसरे देशों से इन्हें खरीदना पड़ सकता है। हालांकि 8 जुलाई के बाद से सोयाबीन और गन्ने की अच्छी पैदावार वाले इलाकों में बारिश होनी शुरू हो गई है। मौसम विभाग के अनुसार उत्तरप्रदेश में अभी तक सामान्य से 28 प्रतिशत कम बारिश हुई है जबकि प्रदेश के बुंदेलखंड में 60 प्रतिशत से कम बारिश हुई है। प्रदेश के 39 ज़िले सूखे की कगार पर हैं। बिहार में सामान्य से 8 प्रतिशत कम बारिश हुई जबकि झारखंड में सामान्य से 11 प्रतिशत कम वर्षा हुई। मध्य प्रदेश में सामान्य से 48 प्रतिशत कम बारिश हुई है। महाराष्ट्र के विदर्भ में करीब 60 प्रतिशत कम बारिश हुई है।