सरकार आंगनबाड़ी केन्द्र योजना सन् 1975 मा लागू करिस रहै। या योजना के तहत जीरो से लइके पांच साल तक के बच्चा किशोरी, गर्भवती अउर धात्री औरतन का पोषाहार बांटा जई। या योजना कहां तक सफल हवै अउर जमीनी स्तर के का सच्चाई हवै। या बात तौ कउनौ से छिपी नहीं आय।
बुंदेलखण्ड के चित्रकूट जिला मा आंगनबाड़ी सात सौ पच्चीस अउर मिनी आंगनबाड़ी एक सौ छियत्तर हवैं। यहिमा से कुछ आंगनबाड़ी समय से केन्द्र नहीं खोलत तौ कउनौ केन्द्र मा बच्चन का पंजीरी नहीं बांटत हवैं।
आखिर काहे सरकार के योजना के धज्जी उड़ावैं मा लाग हवै। लाखन रूपिया का बजट सरकार केन्द्र मा पोषाहार बांटै खातिर देत हवै। वा पोषाहार कहां जात हवै?
विभाग के अधिकारिन का भी समय समय मा केन्द्र जा के जांच करै अउर देखैं के जरुरत हवै।
सरकार कुपोषित बच्चन का लक्ष्य खतम करै खातिर आंगनबाड़ी केन्द्र मा पोषाहार के व्यवस्था करिस, पै वा या पलट के काहे नहीं देखत आय कि हर केन्द्र समय से खुलत हवैं कि नहीं या हर केन्द्र मा बच्चन का पंजीरी बांटी जात हवै या नही? या बात के सरकार निगरानी काहे नहीं करत आय?
दुबारा से पलट के काहे नहीं देखा जात
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