वाराणसी का पवित्र शहर 100 स्थानों में से एक है, इसे नया बनाने के लिए सरकार ने इस्पात उद्योग को बनारस में शुरू करने की योजना बनाई है, जिससे भारत को दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बन सके।
विश्व इस्पात एसोसिएशन के मुताबिक, भारत ने पिछले साल चीन में 493 किलोग्राम की तुलना में प्रति व्यक्ति 63 किलोग्राम स्टील का इस्तेमाल किया था। कम खपत पर और निर्माण में सरकार द्वारा मिली मदद से , 2015 में इस्पात की कीमतों में गिरावट से उभरने के कारण इस उद्योग में तेजी आई है।
भारत का सबसे बड़ा उत्पादक जेएसडब्लू स्टील लिमिटेड, ओडिशा और झारखंड के संसाधन संपन्न राज्यों में से 10 मिलियन टन के दो नए संयंत्र बनाने की योजना बना रहा है और 2030 तक इसके आकार को दोगुना करने के प्रयास में अपने मौजूदा मिलों के विस्तार के लिए अरबों अधिक खर्च करने के लिए योजना बना रहे हैं। इसके लिए टाटा स्टील लिमिटेड ने भारत में अपने दो संयंत्रों को सालाना 4 मिलियन टन तक बढ़ाने के लिए पर्यावरण मंजूरी मांगी है।
कई अन्य बड़े शहर अपनी खास इमारतों आदि के लिए जाने जाते रहे हैं लेकिन बनारस को बदलने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाओं ने विशेष योगदान दिया है। एक तरफ तो यह उनका राजनीतिक क्षेत्र है और दूसरी तरफ लोगों की आस्था का मुख्य केंद्र हैं। यहाँ लोग अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार कराने आते हैं ताकि उन्हें मुक्ति मिल सके। लेकिन इतना सब होने के बाद भी यहाँ मूल सुविधाओं की कमी है जिसे दूर करने के लिए क्रेंद सरकार ने इस्पात उद्योग को बनारस लाने की योजना बनाई है।