कहते हैं टाकीज का ज़माना खत्म हो रहा है। अब तो सभी फिल्म चिप में ले सकते हैं और घर ही बैठे देख सकते हैं।
उत्तर प्रदेश के बांदा, बनारस और चित्रकूट जैसे जिलों में सब टाकीज बंद होते नज़र आ रहे हैं। लेकिन एक ज़माना था जब बड़े परदे का जादू लोगों को दूसरी दुनिया में ले जाता था। महीनों इंतज़ार होता था अपने प्रिय हीरो या हिरोइन को देखने का, उनकी रंगीन दुनिया में खो जाने का।
क्या आप जानते हैं कि फिल्म की शुरुआत कैसे हुई थी? आज से सौ से भी ज़्यादा साल पहले दो भाइयों ने बनाई एक तकनीक जिसमें सिर्फ फोटो नहीं बल्कि चलती तस्वीरें ली जा सकती थीं और उन्हें बड़े परदे पर दिखाया जा सकता है। इन भाइयों को लुमियेर भाई के नाम से दुनिया जानती है। उनकी पहली फिल्म एक मिनट की थी जिसमें उन्होंने एक ट्रेन को चलते हुए अपने कैमरे में उतारा था। जब उन्होंने लोगों को बड़े परदे पर यह दिखाया तो लोग उठ के भागने लगे इस डर से कि कहीं ट्रेन उन पर चढ़ न जाए। ये फिल्म दिखाई गई थी दुनिया के सबसे पुराने टाकीज में जिसका नाम है ईडन टाकीज जो फ्रांस देश में है। आज इस टाकीज को फिर से मरम्मत कर के सुंदर बनाया जा रहा है।
दुनिया का सबसे पुराना टाकीज
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