सरकार हमेशा प्रचार प्रसार करइ छथिन कि दहेज प्रथा रुके, लेकिन इ रुके के अलावे बड़ते जारहल हई। केतना नियम कानून लागू कयले छथीन। लेकिन तइयो आज भी समाज में दहेज के कारण लड़की प्रतारित हो रहल हइ।
मा बाप केतना अरमान से शादी बेटी के करइ छइ। लेकिन ससुराल में जाइते प्रतारित होय लगइ छथिन। इहां तक कि जान से मार देल जाइ छथिन। मरला के बाद केश होइ छई लेकिन कुछ दिन तक केश मुकदमा चलल ओइ के बाद सब कुछ समाप्त हो जाइ छई। एहन समस्या में बीतइ छइ बेटी वाला कारण कि बेटी के शादी में रूपइया भी खर्च होइ छइ अउर बेटी भी अच्छा न रहइ छई। आई भी दस में से आठ लड़की के ससुराल में प्रतारित कयल जाई छई। जे सरकार द्वारा बनायल ‘दहेज लेना या देना कानूनन जुर्म ’ के मजाक उरा रहल हई। जेकर ताजा उदाहरण विसरी पुर के गुडि़या हई।
सरकार के दहेज प्रथा हटावे के लेल दोषी के करी से करी सजा देवे के चाहि। अगर इहे समस्या समाज में रह गेलइ त कि होतइ? समाज में जेकरा पास कम रूपइया हइ उ पढ़ाइ लिखाई के साथ शादी में खर्चा करतइ कि दहेज देतइ? अगर जेकरा पास रूपइया न हइ उनकर लड़की मारल या सतायल जतई?
दहेज के कारण बेटी मारल जाइ छइ
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