बुन्देलखण्ड। बुन्देलखण्ड में दंगल का खेल मशहूुर और लोकप्रिय है। इसे खेलने बडे़-बड़े पहलवान जुटते हैं और षुरू हो जाती है कुश्ती।
जिला बांदा, कस्बा मरका। यहां के कुश्ती पहलवान हैं राजेष जो दस सालों से कुश्ती लड़रहे हैं। राजेष बताते हैं कि उनको बचपन से ही पहलवान बनने का षौक था। ‘जब मैं स्कूल में था और कहीं इलाके में दंगल हो रहा होता था तो मैं कुश्ती को देखने जाता था। तब मेरे मन में पहलवान बनने की ललक जागी।’ राजेश के गुरू धनराज ने उन्हें यह कला सिखाई।
राजेश चित्रकूट और महोबा जाकर कई जिला स्तर की प्रतियोगिताओं में पहला स्थान जीत चुके हैं। वे कहते हैं, ‘जब मेरी कुश्ती लोगों को पसन्द आई तो मध्य प्रदेष, बिहार, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कष्मीर तक मैं खेलने के लिए गया। हर जगह से मुझे जीत हासिल हुई। अभी दषहरे के दूसरे दिन बबेरू के लोगों ने कुश्ती के लिए बुलाया तो वहां पर भी मैं जीता और पुरस्कार के रूप में इकसठ सौ रुपए और चांदी का गदा मिला।
जिला चित्रकूट, कस्बा खण्डेहा। यहां 11 और 12 अक्टूबर को दो दिवसीय दंगल का आयोजन किया गया। कुश्ती लड़ने के लिए पहाड़ी ब्लाक के सरसेडा गांव के पंडित जी के नाम से जाने माने पहलवान आए थे। इन्होंने कौषाम्बी के पहलवान रमेष को हरा कर लोगों का मन मोह लिया। रामलीला केमेटी के अध्यक्ष ने एक शील्ड देकर इन्हें सम्मानित भी किया।