संसद और विधान सभाओं में तैंतीस प्रतिशत महिला आरक्षण का मुद्दा फिलहाल ठंडे बस्ते में बंद है। राज्य सभा में पारित होने के बावजूद ‘महिला आरक्षण विधेयक’ लोकसभा तक नहीं पहुंचा। राजनीतिक दलों की पहली और मुख्य परेशानी यह है कि अगर महिलाओं को संसद और विधान सभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण दिया गया, तो आरक्षण से 33 प्रतिशत से साधारण रूप में कम से कम 8 प्रतिशत महिलाएँ होंगी। 41 प्रतिशत महिलाएं अगर पार्टी लाइन तोड़ कर एक हो गईं, तो आने वाले दौर में पुरुष नेताओं को राजनीति से ‘संन्यास’ लेकर घर बैठना पड़ेगा।
तैंतीस प्रतिशत महिला आरक्षण का मुद्दा
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