चित्रकूट जिला में इस समय बीड़ी की पत्ती टूट रही है। यह पत्ती तेंदू के पेड़ से तोड़ी जाती है। पत्ती हजारों लोग तोड़ते हैं। इसी से उनके परिवार वालों का पेट चलता है।
ब्लाक मानिकपुर, गांव अगरहुंड़ा के बेलसिया और चंदरा गांव के पुरवा पवारी के रानी और तुलसा ने बताया कि 15 मई 2013 से पत्ती तोड़ रहे हैं। एक गड्डी में सौ पत्ती होती हैं। एक सैकड़ा तोड़ने में सत्तर रुपये वन विभाग वाले देते हैं। इस रुपये से घर का खर्चा चलता है। और बाहर कमाने के लिए नहीं जाना पड़ता है।
कुछ इसी तरह सुअरगढ़ा गांव की बिट्टी और रामकली, बम्बिहा गांव की रानी और मुन्नी का कहना है कि अगर पानी न बरसा तो पूरे जून के महीने तक पत्ती तोड़ी जाएगी। इस काम को करने से हजारों लोगों की रोटी रोजी चलती है। हमारे परिवार में कई पीढ़ी से पत्ती तोड़ी जाती है। इसलिए हम परदेस जाने के लिए मजबूर नहीं होते हैं। अगर इसी तरह का काम हर महीने मिलने लगे तो बहुत ही अच्छा होगा। इस साल बदमाष और जंगल के लोगों ने परेषान नहीं किया है। जबकि पिछले साल परेषान करते थे। मानिकपुर वन विभाग के डिप्टी रेंजर लालमन का कहना है -पत्ती को सुखाने के बाद बेचा जाता है। हर साल यहां से कलकत्ता और बाम्बे शहर से व्यापरी पत्ती लेने आते हैं। करोड़ों रुपयें की पत्ती बिकती है।
तेंदू के सहारे कर रहे गुजारा
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