जिला बाराबंकी, तहसील हैदरगढ़, गाँव जैतपुर हियां दुपट्टा बनावै कै काम हुआथै जेहमा लगभग सौ कारीगर लाग बाटे।पर यै कारीगर येही काम मा एतनी कड़ी मेहनत करै के बाद दुई टाइम के रोटी सही से नाय खाय पावत अहैं। कारीगर के अनुसार एक दुपट्टा तैयार करै मा आठ रुपया मिलाथै जेसे पूरा परिवार येही काम मा लागिके पैसा कमाय कै कोसिस करीथी।
कारखाना मालिक मोहम्मद मेराज कै कहब बाय कि पावरलूम के कारखाना आय काफी मेहनत कै काम बाय। धागा लावै, लपेटना, रील बनाना जैसे बहुत काम हुआथै।तब कपड़ा बनाथै। एक दुपट्टा बनावै मा कम से कम पौने एक घंटा लागाथै।पुरे दिन मा सोलह से बीस दुपट्टा तैयार होय जाथै। बिजली रात दस बजे तक मिल जाथै तौ दस बजे तक काम हुआथै बिजली के ऊपर बाय। जेतना बिजली मिले वतना काम होये।
सरिहा बुनकर के कहब बाय की बहुत सारी प्रक्रिया करै का पराथै फिर मशीन पे चढ़ावा जाथै। पूरा परिवार येही मा लाग रहाथै लकिन मेहनत के कमाई नाय मिल पावत।
हाफिस रईस अहमद बुनकर कै कहब बाय की हमार पुश्तैनी काम आय बाप दादा इहै करत रहे अब हमरे सब करीथी। मुनाफा नाय बाय कुछ भी परेशानी मा काम करीथी। घर के गरीबी नाय गए।
समीम बानों बुनकर कै कहब बाय कि दिन भर मा पचास रुपया कै कमाई होय जाथै तौ वहमा काव खरीद लियब।इहै काम का करत करत एक आँख से दिखाई भी नाय दियत। आपरेशनके ताई बीस हजार रुपया मांगत रहिन जब खाय के ताई नाय हुवत बाय तौ बीस हजार कहाँ से दी। वतनी आमदनी नाय बाय।
कैसर जहाँ बुनकर कै कहब बाय की पावरलूम हाथ पैर से चलावै का पराथै जेसे काफी परेशानी हुआथै। ताज बीबी बुनकर कै कहब बाय की खाय के ताई पैसा नाय पूर हुवत तौ पढ़ाई कैसे करी।
रिपोर्टर- नसरीन
15/05/2017 को प्रकाशित