लखनऊ। मुहब्बत की निशानी समझे जाने वाले ताजमहल पर राजनीति होना शुरू हो गई है। उत्तर प्रदेश सरकार में शहरी एवं विकास और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री आज़म खान की नज़र इस बार ताज महल पर पड़ गई है।
13 नवंबर को उन्होंने मुसलमान नेताओं के साथ हुई एक बैठक में कहा कि ताजमहल कब्रगाह है, यह मुसलमानों की अमानत है। इसलिए इसे वक्फ बोर्ड के हवाले कर देना चाहिए। ताज महल से होने वाली आय का ब्यौरा भी इसी बोर्ड को रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि ताजमहल के साथ मुसलमानों का भावनात्मक संबंध है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो यह मुस्लिमों के साथ अन्याय होगा। लखनऊ ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद राशिद भी इस बैठक में मौजूद थे। उन्होंने फौरन मांग कर दी कि इसमें पांच वक्त की नमाज़ होने की अनुमति भी सरकार से मिलनी चाहिए। हालांकि भारतीय जनता पार्टी के नेता शहनवाज़ हुसैन ने कहा कि कब्रगाह या मजा़र में नमाज़ नहीं होती है। ऐसे में यह मांग बिल्कुल जायज़ नहीं है।
सवाल यह भी उठता है कि ताज महल को धार्मिक स्थल घोषित करना उसकी पहचान के साथ क्या अन्याय नहीं होगा।
ताज महल मुहब्बत की निशानी या धार्मिक स्थल
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