जिला वाराणसी, नगर क्षेत्र कज्जाकपुरा मुस्लिम बस्ती। शादी हो या हो कोई खास दिन बिना ढोलक सब सूना लगता है। ढोलक की आवाज सुनकर ही पैर थिरकने लगते हैं। क्या आपको पता है कि ये ढोलक कैसे बनता है? आइऐ जाने।
लकड़ी से बनाया जाता है ढोलक का आकार। ढोलक के दोनों ओर जहां थाप देते हैं, वहां पर चढ़ाई जाती है जानवरों की खाल। नहीं नहीं बिल्कुल नहीं। गलत मत समझिए। मरे जानवरों की खाल को निकालकर उसे सुखाकर फिर चढ़ाया जाता है। खाल चढ़ाना एक कला है। जितनी ढंग से कसी हुई खाल चढ़ेगी उतनी ही लय ताल में बजेगी ढोलक।
मुस्लिम बस्ती कज्जाकपुर में लगभग हर घल में ढोलक बनाने का काम होता है। घर की महिलाएं इस में हाथ बंटाती हैं। यहां की महिलाओं ने बताया कि दो दिन में एक ढोलक बनत़ी है। एक ढोलक तीन सौ रुपये में बिकत़ी है।
ढोलक बाजे ढम ढम ढम
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