जिला महोबा। सरकार चाहे ओरतन खे लाने कोनऊ भी कानून बनवे, पे उमे ओरतन खा बोहतई कम लाभ मिलत हे। काय से अगर एसो देखो जाय तो बुन्देलखण्ड मे सब से ज्यादा महिला हिंसा होत हे, पे प्रशासन ऊमे कोनऊ ठोस कदम नई उठाउत आय। इ बात खा लेके खबर लहरिया पत्रकार महोबा डी.एम.डाक्टर काजल से ओरतन खे खिलाफ होय वाली हिंसा खा लेके बात चीत करी।
पत्रकार – जिले में महिलाओं से सम्बधित किस तरह के केस आउत हे?
डी.एम. – पति से मारपीट ओर लड़कियो को ले जाने वाले केस ज्यादा आउत हे।
पत्रकार – बुन्देलखण्ड के महोबा जिला में ओरतन की स्थिति केसी हे?
डी.एम. – बुन्देलखण्ड में मोई पेहली पोस्टिगं हे। ऐते के बारे में ज्यादा नई बता सकत हो ईखे पेहले में मेरठ में रहे चुकी हो। उते से तो ऐते महिला हिंसा कि स्थिति बोहतई ज्यादा हे।
पत्रकार – महिलाओं के खिलाफ हिंसा के ऐसे कोनऊ केस हे जीमे आपने विशेष कारवाही करी हे।
डी.एम. – जोन केस मोय ऐते आउत हें, तो ऊमे समझावे की कोशिश करी जात हे। समझावे से नई निपटत तो उनखा कोर्ट भेज दओ जात हे। जीमे ओरते अपनो गुजारा भत्ता ले सके।
पत्रकार – महिला होय के नाते आप हिंसा से पीडि़त ओरतन के लाने केसी कारवाही करती हे।
डी.एम. – मोय पास जोन केस आउत हे ऊखी रिर्पोट तुरंतै शाम खे थाने से मंगाउत हो ओर देखत हों हर शनिवार खे एस.पी. के साथे परामर्श केन्द्र चलाउत हों। जीमे ओरते अपनो केस लेके आउत हें उन केसो की काउन्सिलिगं में पुलिस, न्यायालय के अधिकारी ओर समाजसेवी महिलाये बेठती हे।
पत्रकार – महिला हिंसा के बारे में शासन-प्रशासन का सोच रहो हे?
डी.एम. – ईखे लाने 13 दिसम्बर 2012 से दो महिना को अभियान चलाओ जेहे। जीमे सोलह से अठारह साल के स्कूल ओर कालेज के लड़का-लड़कियन खा ओरतन से ठीक से बात-चीत करना सिखाओ जेहे। जीसे उनकी जागरुकता बढ़त हे।
पत्रकार – जिले मे ऐसी ओरतन खे लाने कोनऊ सुविधा हे?
डी.एम. – हमाए एते ओरतन के लाने रहे की कोनऊ सुविधा नइया। न नारी निकेतन बनो आय। न कोनऊ जघा खी व्यवस्था आय, साथे जा भी सोच हे कि हर जिलन मे परामर्श केन्द्र खोलो जेहे।
डी.एम.से बात-चीत
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