जिला बांदा। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र महुआ मा 20 अगस्त 2014 का डिलेवरी के बाद बीस साल के गौरा के मउत होइगे। परिवार का आरोप है कि पांच हजार रूपिया न दं मा डाक्टर अउर ए.एन.एम. गौरा के जान लई लिहिन। गुस्सान परिवार अउर हजारन मड़ई लास का सड़क मा धइके तीन घण्टा तक सड़क जाम करिन। जिला प्रशासन अउर पुलिस प्रशासन मिल कारवाही का भरोसा दइके जाम खोलवाइन।
महुआ गांव के रहं वाली संगीता बताइस कि वा आपन भउजाई गौरा के पहिली डिलेवरी खातिर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मा 18 अगस्त 2014 का 2 बजे भर्ती कराइस। शाम 4 बज के 26 मिनट मा बिटिया पैदा भे। एक घण्टा के बाद खून जाय लाग अउर उल्टी होय लागीं। मैं ए.एन.एम. राजरानी से बतायंेव। वा इंजेक्शन अउर दवाई करैं खातिर पांच हजार रूपिया मांगिस। मंै सौ रूपिया दीनेंव तबै वा एक इंजेक्शन लगाइस अउर एक खुराक गोली दिहिस। यतनी दवाई करंै के एक घण्टा बाद बोतल चढ़ा दिहिस। बोतल के दवाई देह के भीतर नहीं जात रहै तबै ए.एन.एम. कहिस कि बांदा लई जाव। वा गौरा का जबरइन एम्बुलेन्स मा परा दिहिस। जबै तक हम गौरा का बांदा लई जाय के व्यवस्था कीन तबै तक मा ही 6 बजे गौरा के मउत होइगे। अगर ए.एन.एम. का मंुह मांगा रूपिया दई देइत तौ गौरा के जान बच जात।
ए.एन.एम. राजरानी कहत रहै कि बच्चा होय के एक घण्टा बाद खून ज्यादा जाय लाग तौ मैं मेथरजीन का इंजेक्शन लगायेंव। मेथरजीन अउर पैरासिटामाल के गोली खवा दीनेंव। वहिके बाद भी खून नहीं बंद होत रहै अउर उल्टी भी होत रहै। मैं वहिका तुरतै जिला अस्पताल बांदा का रिफर कई दीनेंव। परिवार वाले रूपियन के व्यवस्था करंै मा देर कई दिहिन या मारे वहिके मउत होइगे। ए.एन.एम. अस्पताल के कमी बतावत कहिस कि हंेया मेहरिया डाक्टर मंदिरा दीक्षित है जउन महिला जिला अस्पताल बांदा मा अटैच है। डिलेवरी करावैं वाले कइयौ सामान भी निहाय। या मारे ज्यादातर केस हम रिफर कई देइत है।
का कहिन जिम्मेदार अधिकारी
महुआ चिकित्सा अधीक्षक एम.सी. पाल कहिन कि मैं सी.एम.ओ. के हेंया चला गये रहौं। ए.एन.एम. जबै मोहिसे बताइस तौ मैं रिफर करै का कहेंव। या घटना तौ परिवार वालेन के लापरवाही से भे है। काहे से रिफर करैं के बाद भी गौरा का जल्दी जिला अस्पताल नहीं लई गं आय।
सी.एम.ओ. डाक्टर कैप्टन आर.के. सिंह का कहब है कि अपर निदेशक स्तर से कारवाही कीन जई। एस.डी.एम. अतर्रा का जांच का आदेश दीन गा है। पुलिस धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत एफ.आई.आर. दर्ज कई लिहिस है। या पूरे मामला मा कहीं न कहीं डाक्टर के कमी है। जांच के बाद डाक्टर का हटावा जा सकत है।