बचपन में जब चिट्ठी आती तो झट से खड़ी हो जाती घर के द्वार पर। पोस्टमैन भैया पोस्टमैन भैया कहाँ से आई है चिट्टी? मुझे कहां पड़ी है कि क्या सन्देश आया है, मुझे तो मतलब था सिर्फ उस डाक टिकट से। अम्मा से कहती जल्दी खोलो और दे दो मुझे लिफाफा। फिर डाक टिकट पर पानी लगाती और ध्यान से निकालती बिना कोई नुक्सान पहुंचाए। ऐसे कई सालों से जमा किये गए डाक टिकटों की किताब मेरी सबसे कीमती पूंजी है। ऐसे ही कई लोग हैं इस दुनिया में जिन्होंने जमा किए हैं दुनिया भर से डाक टिकट जो मानो हमारे इतिहास को एक किताब में समेटे हैं।
9 और 10 जुलाई को पटना में जमा हो रहे हैं पच्चासी देशों के डाक टिकट के जमा करने वाले लोग जिसमंे ये लोग प्रदर्शनी करेंगे अपने डाक टिकटों की। कुछ चार सौ एकदम बहमूल्य डाक टिकट की प्रदर्शनी भी होगी। इसमें नज़र आएँगे चाचा नेहरू, गांधीजी, रबिन्द्रनाथ टैगोर जैसे भारत के महान लोगों के दुनिया भर से जमा कि गए ऐतिहासिक डाक टिकट।
डाक टिकट की प्रदर्शनी
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