बांदा जिला पचास प्रतिशत डाक्टारन से खाली है। मतलब कि 116 डाक्टरन मा सिर्फ 58 डाक्टर ही हैं। यहै मारे हेंया के ज्यादातर अस्पताल फार्माशिष्ट अउर ए.एन.एम. के भरोसे ही चलै का मजबूर हैं। जइसे कि बेर्राव का अस्पताल।
20 जून 2013 का बांदा जिला मा आये नये सी.एम.ओ. 17 जुलाई 2013 का उत्तर प्रदेश शासन का चिट्ठी भेज के डाक्टरन के भर्ती के मांग करिन। सबसे बड़ी कमी तौ चिकित्सा अधिकारिन के है। 57 चिकित्सा अधिकारिन मा सिर्फ 46 ही चिकित्सा अधिकारी है। यतने कम डाक्टरन से ही चिकित्सा व्यवस्था के गाड़ी धीरे-धीरे डुरकत है। डाक्टरन के यतनी बड़ी कमी अबै से नहीं सालन से चली आवत है, पै आज तक डाक्टरन के भर्ती नहीं होई पाई। जउन भी सी.एम.ओ. आये होइहैं तौ का या समस्या के बारे मा सरकार से बताइन न होइहैं।
बांदा जिला के डाक्टरन के कमी के बारे मा सरकार नींकतान से जानत है, पै आज तक कारवाही काहे नहीं करिस? साधारण इलाज होय या फेर डिलेवरी। मरीजन का खराब रास्ता पार कइके चालिस से पचास किलोमीटर आधी रात के भी भागै का परत है। या तक नउमत आ जात है कि मरीजन का चारपाई मा परा के अस्पताल तक लई जाय का परत है। होंआ डाक्टर ही निहाय तौ मरीज के जिन्दगी बचब भाग्य भरोसे रही जात है। इनतान के हाल काहे न होइहैं जब अस्पताल के लाखन रूपिया के बनी इमारत होय के बाद भी डाक्टर निहाय। अस्पताल बीरान परे आंसू बहावत हैं।
डाक्टर से खाली है बांदा जिला
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