दिसम्बर के महीना में सर्दी ने आदमियन पे आपन असर दिखाउब शुरू कर दओ हे। अभे एक महीना में लगभग एक दर्जन आइमियन की मोत हो गई हे। पे अभे तक सर्दी से बचाव के लाने सरकार केती से कोनऊ ठोस कदम नईं उठाओ गओ हे।
हम बात करत हें अलाव ओर कम्बल की? हर साल गांवन में बूढ़े आदमियन खा कम्बल ओर चैराहे में अलाव की सुविधा करी जात हती। जीसे ठण्डी ज्यादा से ज्यादा बचाव हो सके। आदमी हर साल के जेसे ई साल भी सरकारी सुविधा के लाने आसरा लगाये हे, पे सरकारी ओर जिम्मेंदार आदमियन के कांन में जूं तक नईं रेंगत हे। जभे की ठण्डी से बचे के लाने हर साल सरकार अलग के करोड़ो रुपइया बजट भेजत हे।
ताजा उदाहरण-पिछले हफते महोबा लेखपाल ओर कबरई कस्बा के जुगल किशोर की ठण्ड से मोत हो गई हती, 21 दिसम्बर खा पनवाड़ी में सन्तोष पंण्डित की ठण्ड के करन मोत हो गई हे। अलाव जले के लाने महोबा चिन्हीत तो हो गये हे, पे अलाव जले को नामो निशान नइयां। जा सब कागज में चढ़ के रेह गओ हे। जभे गरीबन के लाने सरकार सुविधा भेजत हे तो ऊ सुविधा काय नई मिलत हे। नई मिलत तो बजट किते जात हे। जाजवाब देही सरकार खा जिले में बेठे अधिकारियन से लेय खा चाही? तभई जा समस्या दूर हो हे।