22 दिसम्बर 2013 से अचानक ठण्ड बढ़ जाये से गरीबन को बुरो हाल हे। सबसे ज्यादा परेशानी झेले खा परत हे, मजदूरन ओर रिक्शा चलाये वाले आदमियन खा। काये से ई आदमी सुबेरे से मजदूरी करे खा निकरत हें।
एसी गलन वाली ठण्डी में ऊखे हांथ-पाव ठिठुर के बरफ हो जात हें, पे हांथ सेके खे लाने कहूं इत्ती व्यवस्था नइयां, कि आगी से आपन हांथ सेंक सके।
सरकार हर साल ठण्डी में अलाव जलवाये खे लाने बजट भेजत हे, पे ऊखा फायदा आम जनता खा नई मिलत आय। ठण्डी से निपटे खे व्यवस्था तो प्रशासन खा पेहले से करे खा चाही। नई तो आये-जाये वाले आदमियन खा का होहे।
ठण्डी तो नवम्बर के महीना से परे लागत हे, पे सरकार ई ठण्डी से निपटे खे लाने व्यवस्था पेहले से काय नई करत आय? अभे तक न कहूं अलाव जलाओ गओ, न गरीब असहाय आदमियन खे लाने रैन बसेरा खे कोनऊ व्यवस्था करी गई हे। अगर आगी ही जलवा दई जाय तो आदमी आपन हांथ-पावन खा सेक के गुजारा कर सकत हें।
ई समय महोबा, चरखारी, खरेला, कबरई, कुलपहाड़ ओर जैतपुर समेत पूरे जिला की जनता ठण्ड से ठिठुरत रहत हे, पे सरकार खा ईखी कोनऊ परवाह नई हे। क्षेत्र की जनता ने प्रशासन से गांव गली ओर शहर खे चैराहन पे अलाव जलवाये खे बडे़ जोरन से मांग करत हें। जीसे सफर करे वाले आदमियन खा ठण्डी से बचाव हो सके।
ठण्डी से निपटे खे नइयां व्यवस्था
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