पूर देश ठंडी से कांपा जात हवै, पै सरकार का कउनौं चिन्ता काहे नहीं होत आय।? ठंड से बेहाल हवै लोग पै प्रशासन भी नहीं देत ध्यान।
उत्तर प्रदेश या समय ठंडी से जूझत हवै। पै शासन प्रशासन या मामला मा कउनौं ध्यान नहीं त आय।कहे का तौ सरकार कइती से जघा जघा आलाव के व्यवस्था कीन जात हवै। पै अगर सच्चाई देखा जाये तौ कत्तौ भी आलाव जलत नहीं देखात आहीं। मड़ई खुद मा अपने से कूडा़ करकट जला के आपन ठंडी मिटावत हवैं।
चित्रकूट जिला मा तौ मड़ई ठंडी से हिंया भटकत हवै कि कत्तौ तौ आगी तापै का मिल जाये।प्रशासन का कहब हवै कि उनके तरफ से लकडी़ के ब्यवस्था करवा दीन गे हवै स्टेशन ,सब अड्डा अउर जहां भी मड़ई इक्कटा हवैं।पैं देख के तौ नहीं लागत कि प्रशासन कइती से आलाव के सुविधा नहीं देखात आय? सरकार के लगे तौ या आलाव खातिर तौ बहूतै बजट होत हवै तौ काहे नहीं आलाव के ब्यवस्था करवावत आय? कबै तक आम जनता इनतान के ठंडी से जुझत रही? सरकार काहे का इनतजार करत हवै? ठंड के कारन बुन्देलखण्ड मा अब तक मा कइयौ मउत भी होइ चुकी पै शासन प्रशासन या मामला का लई कउनौ ध्यान काहे नहीं देत आय?