संसद के आगामी सत्र में सामाजिक न्याय मंत्रालय (सोशल जस्टिस मिनिस्ट्री) ‘ट्रांसजेंडर पर्सन बिल‘ बदलावों के साथ पेश करने वाली है। संसद की स्थायी समिति द्वारा फाइनल किए गये इस बिल के पास हो जाने पर ‘ट्रांसजेंडर‘ की परिभाषा में परिवर्तन आ जाएगा।
ट्रांसजेंडर यानी किन्नर वह होते हैं जिन्हें न तो पुरुष और न ही महिला की श्रेणी में रखा जा सकता है।
किन्नरों के अधिकारों से जुड़ा मूल विधेयक को फिर से शुरू करने के प्रस्ताव के खिलाफ 23 नवंबर को शुरू किया गया एक हस्ताक्षर अभियान, भारत के 73 अधिकार संगठनों और दुनिया भर के 43 लोगों द्वारा पहुँच चूका है और लोग अब सड़कों पर उतर कर इसका विरोध करेंगे।
दरअसल, बिल में ट्रांसजेन्डर की परिभाषा हिन्दू मान्यताओं के अनुसार पेश करने की बात कही गई है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार किन्नरों को अर्धनारीश्वर बताया जा रहा है। जो वैज्ञानिक रूप से गलत है। इसके अलावा, जिला स्तर पैनलों द्वारा शारीरिक जांच को जरूरी करने के आदेश भी इसमें शामिल हैं। इसे किन्नरों की पहचान बताने के लिए अनिवार्य किया गया है।
बिल में इस तरह की अनिवार्य अहर्ताओं का विरोध करने के लिए किन्नर समुदाय ने इसका विरोध करने का फैसला लिया है।
मंत्रालय के विधेयक को ‘पार–बहिष्कार और प्रतिगामी‘ के रूप में समझाते हुए, विरोध प्रदर्शन, सोशल मीडिया अभियानों, पीएमओ और सामाजिक न्याय मंत्रालय के पत्रों के माध्यम से, 17 दिसंबर को शुरू कर एक मार्च तक जारी रखा जायेगा।