जिला अम्बेडकर नगर, ब्लाक टांडा, गांव सकरावल। चैदहवीं सदी में बादशाह अकबर ने टांडा का नाम वहां बसे बंजारों के एक समूह के नाम पर रखा था। आज अम्बेडकर नगर जिले के इस ब्लाॅक का नाम लोग यहां मिलने वाले नम्बर वन क्वाॅलिटी के सूती कपड़े के कारण जानते हैं।
सकरावल गांव में सूती कपड़ा बनाने वाली एक फैक्ट्री के कर्ताधर्ता मोहम्मद सना ताहिर ने बताया कि 1962 से यहां कपड़ा बनाने का काम चल रहा है। ‘सालों पहले यहां दो मशीनें कानपुर से आईं थीं। आज टांडा में अस्सी हज़्ाार मशीनें हैं,’ उन्होंने बताया। ताहिर के साथ फैक्ट्री का काम सम्भालने वाले उनके भाई ज़्ाफर हयात ने कहा, ‘कच्चा माल बाहर से लाते हैं। लेकिन कपड़े की बुनाई यहां होती है। बुनाई हमारे परिवार का पुश्तैनी काम है। इस सूती कपड़े से लुंगी, गमछा, रुमाल जैसे वस्त्र बनाए जाते हैं।’
टांडा के इन बुनकरों का काम उत्तर प्रदेश में ही नहीं, पूरे देश में मशहूर है। इस इलाके में बुने गए कपड़े को ‘टांडा फैब्रिक’ के नाम से जाना जाता है। खुद ज़्ाफर हयात और उनके भाई की फैक्ट्री भी अपना कपड़ा मुरादाबाद जैसे जिलों तक बेचते हैं।
मई के महीने की इस बढ़ती गर्मी में एक बात तो तय है। कभी आपका चक्कर इस तरफ लगे तो कम दामों में बेहतरीन क्वाॅलिटी का कपड़ा इस ज़्ारूर खरीद ले जाएं। एक बार ये मुरादाबाद और दिल्ली पहुंच गया तो ना जाने कितना महंगा हो जाए।
टांडा की खास – ये लुंगी है लाजवाब!
पिछला लेख