जिला झांसी, शहर झांसी, बघौरा गांव के आदमियन को आरोप हे के हमे गांव के पीछे नदी हे, जी के मारे हर साल बाढ आ जात और हमाई सबरी फसल को नुकसान हो जात।
जा साल भी हमाए पास कछु नइ बचो अनुदान के लाने भी लेखपाल घूस मांग रओ। हम ओरन नो इतनो रुपईया नइया के हम घूस दे पाबे।
मलखान सिंह ने बताई के बाढ़ आबे के मारे हमाई पूरी फसल ख़राब हो गई सड़ गई। उरदा, मूंग, धान, तिली सब बोय ते। लेकिन कछू नइ भओ सब बर्बाद हो गई। इतनो महगो बीज मोल लेके बो तो कछू नइ भओ।
महेंद्र ने बताई के एक सौ दस और एक सौ बीस रुपईया किलो मोल बीज लेके बो तो कोऊ ने बीस किलो कोऊ ने चालीस किलो लेकिन कछू नइ भओ।
सब बर्बाद हो गओ पूरे गांव के कम से कम सौ डेढ़ सौ आदमी बर्बाद हे। हर साल आत बाढ़ कोनऊ साल ज्यादा कोनऊ साल कम लेकिन हर साल आत।
रामवती ने बताई के हमाई फसल बिल्कुल बर्बाद हो गई। कम से कम दो बोरा के लगभग और सरकार से हे सो कछु मुआबजा नइ मिलो। पटवारी से बोली सो कह रए ते के मिल जेहे।
एकाद कोऊ कोऊ को मिलो हुए जीने रिश्वत दई हुए कोनऊ भी आदिवासीयन को नइ मिलो।
गजराज सिंह ने बताई के पटवारी मांग रए रिश्वत एक हजार कोऊ से दो हजार हम तो उनके मुह पे भी कह दे। और आदमी अब प्रदेश में जा रए काम करबे का करे जब इते कोनऊ धधो नइया।
मोड़ी मोड़ा पढ़ लिख नइ पात काय के उन्हें खाबे के लाने तो हे नइया। हम पढ़ाई लिखाई किते से कर वाहे। कोऊ दिल्ली, भोपाल, राजस्थान, अहमदाबाद जा रए काम करबे के लाने हम आदे आदिवासी नइया।
राघबेन्द्र प्रधान को मोड़ा ने बताई के हमने लेख पाल से बोली हे के जिनकी फसले बर्बाद हो गई उनकी सर्वे कर लो। तो बोल देत के अबेइ कर ले चार पांच बार बोल चुके।
बाढ़ के बारे में सुन ही नही रए बोल रए पैसे की व्यबस्था बनबाओ। हम किते से बनबाबे कोनऊ गौर नइ कर रए। लेखपाल संतोष सिंह गौर हे
हमने केऊ बार बोली हमने के इन ओरन के रुपईया दुबा दो। हमने कई के हम डी एम के पास लिबा जा रए सो कत के हो जेहे बस रुपईया की बात करत। जैसे अबे सुखा के रुपईया मिले तो बो सबके रुपईया लेत हर बार।
रिपोर्टर- सफीना
Published on Jan 23, 2017