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आज मैं सिंघौली गांव में मौजूद हूँ। ये दलित बस्ती है, यहाँ के लोगों का आरोप है, कि पुलियां से लेकर बाहर गांव एक किलोमीटर तक नाला पास हुआ था, लेकिन अभी तक अधूरा नाला बना हुआ है। इसलिए लोगों के घरों के सामने दलदल मचा हुआ है। लोगों को आने- जाने में दिक्कत और छोटे बच्चों को दिक्कत हो रही है। कई बार बच्चे इस नाले में गिरकर दलदल में फस चुके हैं, लेकिन जब लोग मौजूद होते हैं, तो लोग बच्चों को बचा लेते हैं।
अब लोगों का कहना है कि अब चैत का महीना है, लोगों को खेत, कटाई के लिए बाहर जाना होगा। कई बार प्रधान से मांग की है, कि ये पूरा नाला बनवाया जाए। इस पर प्रधान अनसुनी कर रहा है।
रामदेवी ने बताया कि नाला बने हुए चार से पांच साल हो गया। अभी अषाढ़ के महीने में बना हुआ था, लेकिन फिर से बंद हो गया। पता नहीं कि प्रधान क्यों नहीं बनवा रहा, क्या नहीं आ रहा? कोई दिक्कत नहीं है पूरा बनना है।
सुमन का कहना है कि हमारे दरवाजे तक पास था, लेकिन अब बोल रहे हैं, कि अब नहीं बनेगा। आधा बनेगा आधा नहीं बनेगा। आधे से बंद कर देंगें। आधे का सामान नहीं आ रहा है। बरसात में पानी से निकलने की बच्चों, जानवर को बहुत दिक्कत होती है। जानवर पानी में खड़े रहते है और बच्चे गिर जाते हैं, तो कीचड़ में फस जाते हैं। कोई घर में हैं या नहीं उसी तरह कीचड़ से लदे घूमते रहता हैं।
चुन्नीलाल प्रजापति ने बताया कि नाला का जो स्टीमेट था, पहले कम पास हुआ था। इसलिए प्रधान ने कहा कि जब नया स्टीमेट बनके आएगा तब बनेगा। इसलिए उसको अधूरा रोक दिया। पहले वहां से यहाँ तक पास था। दोनों दरवाजे क्रास थे। बजट कम होने की बात प्रधान बता रहा है। अब हमें क्या मालूम, कि क्या सही है।
प्रधान लोकनाथ गांव सिघौली जिला बाँदा का कहना है कि अधूरा क्या? इसका स्टीमेट पुराना है। इसलिए स्टीमेट शुरू हो, तो काम चालू हो। इसका पुराना स्टीमेट दो लाख रूपये कुछ और का है। इतने बजट में नहीं हो पायेगा। सरकारी काम है। कुछ कहा नहीं जा सकता। 90 मीटर पास था, कुछ शेष है उसको बनवाना है। 30 मीटर का स्टीमेट बनवाकर काम करेंगें, जो हमारे पास बजट था, उसी हिसाब से काम हुआ है। नहीं ऊपर से आदेश क्या हम बस स्टीमेट के चक्कर में रुके है।