दिल्ली, छत्तरपुर। नाम विकास आहुजा। 1992 से एड्स है। सुनने में यह बात बिल्कुल असमान्य लगती है। लेकिन विकास बिल्कुल सामान्य जीवन जी रहे हैं।
विकास से उनकी जिंदगी और काम के बारे में हुई बातचीत-
सवाल-आपको कब से एड्स है? आपने कैसे अपनेआप को समझाया?
जवाब-बात सन् 1992-93 की है। मेरी तबियत ठीक नहीं रहती थी। मैं अपना चेकअप कराने पुणे के एक क्लीनिक सेन्टर में गया वहाँ पर मेरे ब्लड का सैंपल लिया गया। और कहा गया कि मैं दो दिन बाद आऊं। मैं अगले दिन गया और पूछा कि मेरी रिपोर्ट आ गई। तो डाॅक्टर ने कहा कि आराम से चेयर पर बैठ जाइए। मैनें कहा कि आप बताइए। तो उन्होंने कहा कि आपका रिज़ल्ट पाॅजि़टिव है, आपको एड्स है। उस समय तो जैसे मेरी पूरी दुनिया ही अन्धेरी हो गई। मुझे लगा कि अब मेरा जीवन खत्म।
सवाल-एड्स के बारे में मालूम होने के बाद आपकी जि़न्दगी कैसी चल रही थी? आपके रोज़मर्रा के जीवन में क्या बदलाव आया?
जवाब– एड्स के बारे में मालूम होने के बाद तो मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। कुछ समय के बाद मैं काॅल सेन्टर में जाॅब करने लगा। रात को जाॅब करता। घर आता ड्रिंक करता और सो जाता। और कुछ बचा ही नहीं था।
सवाल– आपके एड्स की जानकारी को घरवालों ने कैसे लिया?
जवाब– सबने मुझसे दूरी बना ली। कोई ठीक से मुझसे बात नहीं करता था। केवल मेरे भाई ने साथ दिया। वो मुझसे इलाज के लिए कहते थे और मेरे साथ होते थे।
सवाल– आपके जीवन में कैसे बदलाव आया?
जवाब– मेरी लाइफ में सबसे बड़ा बदलाव मेरी पत्नी के आने के बाद हुआ। उन्होने ही मुझे कहा कि मैं अपना इलाज करवाऊं।
सवाल– अभी आपका जीवन कैसा चल रहा है? दवा लेने के बाद कभी आपको कुछ दिक्कतें हुईं?
जवाब– दवा लेने के बाद मंै सामान्य जीवन जीने लगा था। बीच में मेरी पत्नी की भी तबियत खराब रहने लगी। जांच करवाई तो पता लगा कि उन्हें टीबी है। एक बार फिर मेरी जि़ंदगी अंधेरे की तरफ चली गई। उनकी भी दवा चल रही है। मगर हम दोनों अब सामान्य जि़ंदगी जी रहे हैं। जैसे आप लोग जीते हैं।
सवाल– आप हमारे पाठकों को क्या सन्देश देना चाहेंगे?
जवाब– बस यही कि एड्स की बीमारी वाले लोग भी साधारण लोगों की तरह होते हैं। बस वो लोग एक वायरस के साथ जीते हैं। और कुछ भी नहीं। आप उनसे भेदभाव ना करें।
जि़ंदगी के जज़्बे से भरे विकास
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