भारत एक कृषि प्रधान देष हवै। सरकार भी कहत हवै कि किसानन का हरतान से सुविधा दीन जई। या बात कहां तक सही आय। यहिका सच्चाई जानै खातिर लागत हवै कि चित्रकूट जिला मा रहैं वाले किसानन का, का परेषानी हवै।
इं जिला मा गुंता नहर बरूआ समेत कइयौ नहर तौ हवै, पै उनमा सिंचाई विभाग कइती से पानी नहीं छोड़ा गा हवै। या कारन किसानन के गेहूं अउर चना के फसल का नुकसान होय मा लाग हवै। किसान का खेती से ही उनके परिवार वालेन का पेट चलत हवै। जबै तक किसान का इनतान के गम्भीर समस्या बनी रही। तबै तक गरीबीका हटाउब बहुतै मुष्किल हवै। या बरस तौ पानी बहुतै ज्यादा बरसा हवै।
फेर का बात हवै कि सिंचाई विभाग वाले नहर मा पानी नहीं छोडि़न आय। या समस्या से किसान परेषान हवैं। का या बात के चिंता सिंचाई विभाग अउर सरकार का नहीं आय? अगर नहर मा पानी छोड़ै खातिर विभाग मा कहा भी जात हवै तौ विभाग वाले कहि देत हवैं कि पानी नहर मा छोड़ दीन गा हवै। आखिर पानी नहर मा छोड़ दीनगा हवैं तौ किसानन का, का आपन समय अउर खेती बरबाद करैं का सउख लाग हवै। या एक बहुतै सोचै वाली बात हवै कि सरकार का किसानन के समस्या का जल्दी खतम करब जरूरी हवै। नहीं तौ का नाम खातिर बस भारत एक कृषि प्रधान देष हवै।
जिले का किसान हरतान से परेशान
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