जिला बांदा, ब्लाक नरैनी, गांव पड़मई। हेंया लगभग डेढ़ महीना से जानवरन मा बीमारी फइली है। बीमारी के कारन 19 मार्च 2014 का लालमन के भैस मर गे है। गांव मा अउर कइयौ जानवर बीमार हैं।
गांव का लालमन बतावत है-“मोर भैस एक महीना से चारा पानी छोड़ रहै, पै मरैं के दुई दिन पहिले से नींक होई आई रहै। दवाई करैं खातिर नरैनी पशु अस्पताल का डाक्टर आवा रहै। बोतल चढ़ाइस है अउर सुजी लगाइस है, पै कउनौ आराम नहीं मिला। एक घन्टा के बाद भैस के मउत होइगे। 60 हजार रूपिया कीमत के भैंस रही है।”
जागेश्वर कहत है-“मोर 40 हजार रूपिया कीमत के तीन लीटर दूध देत चार महीना के गर्भवती भैस एक महीना से बीमार है। पहिले जानवरन के गोड सूझ जात है फेर खुर फुट जात है अउर कीड़ा पर जात है। हमरे भैस के कीड़ा पर गे हैं। एक महीना से पानी मा बांधे हन। हमरे गांव मा कतौ डाक्टर टीका लगावैं नहीं आवत आय।“ यहिनतान से रामभवन के दुई भैस अउर एक गाय बीमार हैं। जयराम अउर जीवन के भैस बीमार हैं।
नरैनी पशु चिकत्सा अधिकारी डाक्टर संजय कुमार का कहब है कि या समय जानवरन मा दर्दनाल नाम के बीमारी फइली है। या बीमारी फफंूदी लाग पयार खवावैं से फइलत है। यहिके बचाव खातिर मड़ई जानवरन का फफंूदी लाग पयार न खवावैं। अगर खवावत हैं तौ नमक के पानी से धो के अउर सुखा के खवावैं। या बीमारी मा जानवर के पाव सूझ जात हैं। खुर फूट हैं अउर कीड़ा पड़ जात हैं जेहिसे बड़े-बड़े घाव होत है। यहिके खातिर टी.दर्द नाम के दुई-दुई गोली आठ दिन तक सुबेरे शाम खवावैं।
जानवरन मा फइली बीमारी
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