धर्मापुरी, तमिल नाडु। तमिल नाडु राज्य में नवंबर 2012 में अंतरजातीय विवाह के कारण हुई हिंसा का असर अब तक नज़र आ रहा है। अगस्त 2012 में विवाह करने वाले लड़का-लड़की पहले अलग हुए और फिर 4 जुलाई 2013 को दलित लड़के इलावरसन की मौत हो गई। जहां पहले इलावरसन की मौत को आत्महत्या माना जा रहा था, वहीं उसके परिवार वालों और कुछ कार्यकर्ताओं के दबाव के कारण मद्रास हाई कोर्ट ने पोस्ट मौर्टम का आदेश दिया।
साल 2012 में धर्मापुरी के दलित लड़के इलावरसन और वनियार जाति की लड़की दिव्या ने प्रेम विवाह किया था। वनियार जाति को दलितों से उच्च माना जाता है और इस विवाह के कारण दिव्या के घरवालों को समुदाय ने बहुत परेशान किया। सामाजिक दबाव के रहते दिव्या के पिता ने नवंबर 2012 में आत्महत्या कर ली थी, हालांकि इस पर भी सवाल उठाया गया है। इस घटना के बाद वनियार समूह ने पास के नाथम गांव के दलित टोले में दो सौ घरों को जला दिया। एक हज़ार से ज़्यादा लोग बेघर हो गए थे। दिव्या के घरवालों ने भी उसका सहयोग नहीं किया था।
जून 2013 में दिव्या अपनी मां के घर रहने लगी और इस को लेकर कोर्ट में केस चल रहा था। 3 जुलाई को केस की दूसरी सुनवाई के एक दिन बाद इलावरसन की लाश धर्मापुरी में रेल की पटरी पर पाई गई। सभी ने इसे आत्महत्या माना पर रेल विभाग की रिपोर्ट के अनुसार 4 जुलाई को ऐसी कोई दुर्घटना नहीं घटी थी। केस की तहकीकात सी.आई.डी. (राज्य पुलिस का जांच दल) को सौंप दी गई है और सी.बी.आई. (केंद्र स्तर पर सबसे बड़ा जांच दल) जांच की मांग की जा रही है। उधर दिव्या से किसी को भी मिलने की अनुमति नहीं है। जातिगत हिंसा के इस मामले में पूर्व केंद्र स्वास्थ्य मंत्री रामादोस और उनकी पार्टी पी.एम.के. का भी नाम आया है।
जाति बनी एक और मौत का कारण
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