बिलासपुर, छत्तीसगढ़। यहां नसबंदी शिविर में महिलाओं को दी गई सिप्रोसीन-500 दवा में ज़हर पाया गया था। बिलासपुर हाई कोर्ट ने 25 नवंबर को छत्ताीसगढ़ सरकार को सभी स्वास्थ्य केंद्रों और मेडिकल दुकानों से इस दवा को अपने कब्जे़ में लेने के आदेश दिए।
बारह दवाओं पर रोक
नसबंदी के लिए इस्तेमाल की गई दवा रायपुर की कंपनी महावर से ली गई थी। इस कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज कर मालिक को गिरफ्तार किया जा चुका है। इस कंपनी की दूसरी दवाइयों की गुणवत्ता पर भी कई कोर्ट केस पहले भी चल रहे हैं। हाई कोर्ट का सरकार पर आरोप है कि यह जानते हुए भी इस कंपनी की दवाएं सरकार क्यों खरीद रही है?
कई सवाल
इस मामले की जांच के दौरान यह भी पता चला कि बिलासपुर जिले में नवंबर महीने में उनतीस नसबंदी शिविर लगने थे। लेकिन इस पूरी सूची में पेंडारी का नाम दर्ज नहीं है। फिर यहां शिविर कैसे और क्यों लगा? दूसरा सवाल शिविर में नसबंदी के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि दो मिनट में एक नसबंदी की गई। क्या इतना समय एक नसंबदी के लिए काफी है? ऐसे में यह दुर्घटना किसी साजिश का नतीजा भी हो सकती है।
ज़हर मिली दवा को सरकारी कब्जे़ में लेने के आदेश
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