नई दिल्ली। 23 अप्रैल को दिल्ली के पास गुड़गांव शहर के अस्पताल में जस्टिस वर्मा का निधन हो गया। वे अस्सी वर्ष के थे और लम्बे समय से बीमार थे। कुछ ही महीने पहले जस्टिस वर्मा खबरों में थे। तीन लोगों की एक कमेटी का नेतृत्व करते हुए उन्होनें महिलाओं पर हिंसा की रोकथाम के लिए मौजूद कानून पर सुझाव दिए थे। इस रिपोर्ट को महिला संगठनों ने काफी सराहा था। जस्टिस वर्मा ने अपने कार्यकाल में बहुत से प्रगतिषील और बड़े फैसले सुनाये थे। देष के मुख्य न्यायमूर्ति रहने के बाद जस्टिस वर्मा राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के चेयरमैन भी रहे। उन्हें हमेषा से महिलाओं के मुद्दों पर संवेदनषील माना जाता था। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उनके देहान्त पर अफसोस जताया लेकिन महिला आन्दोलन को जस्टिस वर्मा जैसे प्रगतिषील और खुले विचारों वाले सहयोगी की कमी सबसे ज़्यादा महसूस होगी।
जस्टिस वर्मा नहीं रहे
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