जम्मू कश्मीर। यहां पर 2 सितंबर से शुरू हुई बरसात ने पांच दिनों के भीतर बाढ़ का रूप ले लिया। यहां पर करीब दो सौ लोगों की मौत हो चुकी है। छह हज़ार से ज़्यादा लोगों को बचाया जा चुका है। यहां की प्रमुख नदियां तावी, झेलम, चिनाब अपने उफान पर हैं। लेकिन लाखों की संख्या में लोग अभी भी फंसे हुए हैं।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन राहत दल बचाव कार्य में लगा हुआ है। बाढ़ के कारण यहां सड़क, पुल, बिजली, फोन का संपर्क टूट गया था। राज़ौरी, पुंछ, उधमपुर जि़लों समेत कई इलाकों के तीन सौ से ज़्यादा गांव बाढ़ में बह गए हैं। यहां के मुख्यमंत्री ओमर अब्दुला ने कहा कि राहत कार्य जारी है। लेकिन यहां मुख्य नदियों के उफान में आने से और कई इलाकों से संपर्क टूटने के कारण राहत कर्मचारी वहां पहुंच नहीं पा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जम्मू कश्मीर का दौरा किया। हालांकि 10 सितंबर से बरसात पूरी तरह से रुकी है।
केंद्रीय जल आयोग की भूमिका पर सवाल
पानी के संसाधनों पर नज़र रखने, उन्हें खोजने, उनकी स्थिति जानने और बाढ़ जैसी आपदाओं पर नज़र रखने की जि़म्मेदारी इस विभाग की होती है। इतनी बड़ी आपदा आने से पहले विभाग की तरफ से किसी भी तरह की कोई चेतावनी नहीं मिली थी।
पाकिस्तान में भी बाढ़
इन नदियों से पाकिस्तान का जुड़ाव होने के कारण वहां पर भी बाढ़ के कारण दो सौ साठ लोगों की मौत हो गई। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में 10 लाख 91 हज़ार 807 लोग प्रभावित हुए हैं। बाढ़ से पंजाब में सात लाख एकड़ से अधिक भूमि की फसल बर्बाद हुई है। सिंध प्रांत में दस लाख लोग प्रभावित हुए हैं।
गूंज नाम की एक संस्था राहत कार्य के लिए काम कर रही है। उसने लोगों से अपील की है कि जो लोग मदद के लिए आगे आना चाहें वह 011-41401216 या 26972351 नंबर पर संपर्क कर सकते हैं।