जमाखोरी के लेके लोग हमेशा परेशान रहई छथिन। महंगाई के भी सबसे बड़का कारण जमाखोरी ही हई। अईसे समान महंगा होई छई अउर जनता के जेब खाली।
अभी हाल कि 12 जुलाई 2014 के दु गोदाम पर छापा मारल गेलई। ऐई गोदाम में ऐतना अनाज अउर तेल हई कि पुरा शहर के छौ महिना के खर्चा चलायल जा सकई छई। हैरत के बात त इ हई कि जे लोग अई में पकरल गेलथिनह। उनका जमानत के लेल हर तरह के लोग पहंुचलथिन। अब सवाल इ उठई छई कि की ऐकरा जानकारी महजुदा अधिकारी के न रहई? अगर न रहई त इ ओई लोग के पक्ष में पैरवी कर रहल लोग के उपर भी नजर कयला न रखा रहल छथिन? जमाखोरी सब के लेल दुःख अउर शर्म के बात हई। आई भी जिला के लगभग दु से तीन प्रतिशत लोग भुखे पेट रहे पर मजबूर छथिन। केकरो कोटा में सही समय या उचित नाप से समान न मिल रहल हई। अनाज तसकरी के लेल सोनबरसा के एगो अलग ही पहचान हई। इहां त सामान से लेके इंसान तक के तसकरी चलई छई। एकरा रोके के मुहिम त चलायल जाई छई लेकिन सवाल इ हई कि एतना होय के बाद भी लोग जमा खोरी कइसे कर रहल छथिन?
इ जमाखोरी देश के दिमक के तरह चाट रहल हई। ऐई लेल जमाखोरी से जुड़ल हर लोग अउर अधिकारी पर कड़ा कार्यवाही कयल जाये। जेईसे जमाखोरी करे से पहिले लोग दस बेर सोचे। जिला अधिकारी जे आदेश देलथिन ह ओई हिसाब से अब लोग के शायद शिकायत के मौका न मिलतई।
जमाखोरी समाज के लेल अभिशाप हई
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