बुन्देलखण्ड को आदमी हमेशा कोनऊ न कोनऊ समस्या से जूझत रहो हे। पे ई साल के सूखा ने किसानन ओर जानवरन खा झगझोर के धर दओ हे। एक केती बारिस न होंय के कारन खेती में कछू नई भओ, आदमी एक-एक दाना खा मोहताज हे। दूसर नदी तालाब कुआं सूखे परे हे। जीसे जानवर बूंद-बूंद पानी खा भटकत हे। ईखे लाने शासन प्रयास तो बोहतई करत हे, पे नाकाम नजर आउत हे। ईखो मुख्य कारन हे विभागीय ओर जिले के जिम्मेंदार अधिकारी।
महोबा जिला के आज भी एसे केऊ गांव हे जिते पानी नई पोहचत हे ओर सार्वजानिक जा फिर रास्ता की पाइप लाइन टूटी परी हे। पानी रात दिन चलते हे बरबाद होत हे। ईखे लाने कोनऊ ध्यान नई देत हे। काय से सरकारी कर्मचारियन खा बिना परेशानी के सब सुविधा मिलत हे। गांव को आदमी दो किलो मीटर दूर से पानी लाउत हे।
सोचे वाली बात तो जा हे की जभे एसे ठण्डी में जा हाल हे तो अगांऊ आयें वाली गर्मी में का हाल हो हे? ताजा उदाहरण-आज भी खन्ना कस्बा के दलित बस्ती के आदमी नदी में गड्ढा खोद के लोटा से बर्तन में पानी भर के घरे लाउत हे। जैतपुर ओर पनवाड़ी ब्लाक के गांवन के आदमी साइकिल ओर बैलगाड़ी से गांव के बाहर से पानी भर के लाउत हे।
पानी की इत्ती खराब स्थ्तिी ओर डार्क जोन घोषित होंय के बाद भी खुले आम टयूबवेल ओर रिबोर कराये जात हे। सवाल जा उठत हे की जभे जिला के अधिकारी नईं ध्यान देत हें तो जनता का कर सकत हे। आखिर जिले के जनता की परेशानी दूर करें की जिम्मेंदारी कीखी आय?
जनता की परेशानी दूर करें को जिम्मेंदार कोन?
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