पंचायतीराज चुनाव निपट गें हवैं। अब गांव के लोगन का एक उम्मीद बन गई हवै कि प्रधान जीत के अब हमरे गांव अउर पुरवन मा विकास का काम जरुर करवइहैं।
मड़इन का मानब हवै कि हर साल नये प्रधान का बना के देखैं का हवै तौ शायद ही विकास का काम होइ सकत हवै। अगर दूसर कइत देखा जाये तौ कुछ लोग या भी कहत हवैं कि जबै पूर्व प्रधान रहै तौ वा विकास नहीं करवाइस तौ अब नवा प्रधान का करवई। चाहे जउन प्रधान बन जाये वा पहिले अपने जेब भरत हवंै। बाद मा विकास कइती देखत हवंै। जनता का, का समस्या हवै। वहिसे उनका कउनौ मतलब नहीं रहत हवै।
अब सावल या उठत हवै कि आखिर प्रधान जनता का दिल कइसे जीत सकत हवंै। प्रधान के भी तौ या जिम्मेदारी बनत हवै कि वा जनता के बीच आपन विश्वास बना सकै। यहिके खातिर जरुरी हवै। वा अपने गांव मा विकास के काम का ज्यादा महत्व दें अउर जनता का खुश रखैं के कोशिश करैं के जरुरत हवै। तबहिने प्रधान से गांव के जनता का दिल खुश रही सकत हवै अउर विश्वास भी बना रही सकत हवै। यहिसे प्रधान का जनता दुबारा से प्रधान बनावैं के सोंच सकत हवै। यहिकर नतीजा या पंचवर्षीय मा कुछ तौ देखैं का मिला हवै। जइसे कि कुछ पूर्व प्रधान जीत हासिल करिन हवैं।